भोपाल। प्रदेश के सबसे बड़े अवैध पेड़ कटाई के मामले में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 100 करोड़ की लकड़ी के इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर एवं दोषी पाए गए वन अफसरों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इस मामले में सरकार ने सिर्फ एक अपर कलेक्टर को निलंबित कर कार्रवाई के नाम पर इतिश्री कर ली है।
बालाघाट जिले के 19 गांवों के राजस्व क्षेत्रों में अवैध कटाई भी लकड़ी को राजनांदगांव भेजा गया और वहां से इसे बालाघाट के तत्कालीन कलेक्टर व्ही किरण गोपाल के पिता ने एक नंबर में खरीदा। यानी टीपी कम दिखाई और ज्यादा लकड़ी खरीद सरकार को 100 करोड़ की चपत लगाई गई है।
बालाघाट जिले के बेहर तहसील के 19 गांवों में से जिन निजी और राजस्व की भूमि पर लगे पेड़ों की कटाई की अनुमति जिला प्रशासन द्वारा दी गई थी, उसमें दोषी अपर कलेक्टर एससी परस्ते को तो सरकार ने निलंबित कर दिया है, लेकिन बफरजोन से हुई लकड़ी की अवैध कटाई के मामले मे बालाघाट के डीएफओ, एमडीओ फारेस्ट तथा रेंजर के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
वैसे विभाग ने इस अवैध कटाई मामले की जांच सीसीएफ बालाघाट से कराई थी और इसमें कई अधिकारियों को दोषी भी ठहराया गया है। क्योंकि यह खेल निजी भूमि पर खड़े पेड़ों की कटाई तथा राजस्व भूमि की जमीन पर खड़े पेड़ों की कटाई से जुड़ा है। इस मामले में अपर कलेक्टर के विरुद्ध पुलिस ने आठ प्रकरण दर्ज किए हैं, और बालाघाट से हुई अवैध कटाई की लकड़ी को कम टीप दर्शाते हुए राजनांदगांव के एक टिंबर व्यापारी को बेच दिया गया, जहां से बालाघाट के तत्कालीन कलेक्टर व्ही किरण गोपाल के पिता ने राजनांदगांव से एक नंबर में खरीदी बताई गई।
यह प्रदेश का तीसरा मालिक मकबूजा कांड है जहां करोड़ की अवैध कटाई के बाद कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया गया। यानी खेत में खड़े पेड़ों के साथ ही जंगल से अवैध कटाई की गई।
सीएम को भेजी रिपोर्ट मेें भी दोषी वन अफसर
बालाघाट में हुए अवैध कटाई मामले की रिपोर्ट सीएम ने एंटेलीजेंसी से मांगी थी जिसमें फारेस्ट अफसरों की लापरवाही और मिलीभगत सामने आई। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि अवैध लकड़ी राजनांदगांव के जिस टिंबर व्यापारी को बेची गई थी उस व्यापारी से यह लकड़ी एक नंबर में कलेक्टर के पिता ने खरीदी और इस मामले में कलेक्टर की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए हैं।