
आज यहां जारी अपने बयान में मिश्रा ने कहा कि प्रदेश भर के एक लाख के करीब अतिथि शिक्षक अपने नियमितिकरण की मांग को लेकर सरकार के समक्ष गांधीवादी तरीके से अपना पक्ष रख रहे हैं, यही नहीं ठंड की मार झेल रहे ये अतिथि शिक्षक आंदोलन स्थल पर अपने भोजन इत्यादि की व्यवस्था भी खुद कर रहे हैं, किंतु जिस सरकार को इन पीड़ित शिक्षकों को झूठे वायदों से ठगे जाने के बाद उनके प्रति मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति करना चाहिए, उसके विभागीय प्रमुख के नाते शिक्षा मंत्री पारस जैन उनसे ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, मानो प्रदेश में लोकशाही और लोकतांत्रिक निर्वाचित सरकार के स्थान पर तानाशाही और तुगलकी सरकार काबिज है।
श्री मिश्रा ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह अपने वायदों से न मुकरते हुए प्रदश भर के अतिथि शिक्षकों की न्यायोचित मांगों को न केवल निराकृत करे, बल्कि निकट भविष्य मंे होने वाली दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं के मद्देनजर विद्यार्थियांे के भविष्य का भी ख्याल रखे।