खरगोन। आमतौर पर मध्यप्रदेश में युवाओं का खेलों की तरफ कम रुझान दिखाई दे रहा है, लेकिन प्रदेश के खरगोन जिले का काकड़दा एक ऐसा गांव है जहां के हाईस्कूल का हर बच्चा थ्रो बॉल, डॉज बॉल और नेट बॉल का खिलाड़ी है. जिले के काकड़दा गांव के 225 परिवारों से पढ़ाई के साथ-साथ 360 खिलाड़ी पिछले 6 वर्षों में तैयार किए जा चुके हैं. खास बात यह है कि खेल सुविधाओं के अभाव के बावजूद इनमें से 333 राज्य स्तर और 27 खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक खेल चुके हैं. इन खिलाड़ियों में 264 छात्राएं भी शामिल हैं.
हाईस्कूल में खेल मैदान नहीं होने के बाद पीटीआई आनंद जोशी की मेहनत और स्कूली बच्चों के प्रति समर्पण से सुविधा के अभाव में यहां की बेटियों ने काकड़दा गांव को अपनी नई पहचान दिलाई है. खेल को जीवन का उद्देश्य बना चुकी छात्राओं का कहना है कि हम नेशनल लेवल तक खेल आए हैं, लेकिन अगर सुविधाएं मिले तो हम इन्टरनेशनल स्तर तक खेलकर देश-प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं.
पीटीआई आनंद जोशी का कहना है कि ईमानदारी से किए गए प्रयासों से सफलता कदम चूमती है. छोटे से आदिवासी बाहुल्य पिछडे गांव से 333 राज्य स्तर और 27 खिलाडी नेशनल लेवल खेल चुके हैं. इनमें 264 छात्राएं शामिल हैं. जिससे काकडदा गांव एकाएक सुर्खियों में आ गया है. करीब पांच साल की कड़ी मेहनत से प्रतिभाओं को हीरे की तरह तराश कर नेशनल लेवल तक पहुंचाने वाले शिक्षक भी मानते हैं कि सरकार की तरफ से सुविधाएं मिलें, तो बच्चे देश का नाम रोशन कर सकते हैं.
गांव के सरपंच चंदन भूरिया का मानना है कि पीटीआई आनंद जोशी की मेहनत रंग लाई है. जिसके चलते लड़कियां आज खेलों में लड़कों से आगे हैं. उनका कहना है कि स्मार्ट गांव बनने से खेल गतिविधियां बढ़ेंगी. सरकार को भी खेल को बढावा देने के लिये स्कूल ग्राउन्ड और हायर सेकेन्डरी स्कूल की की सुविधा देना चाहिए.