भोपाल के नवाब की सभा में झलका गांधीजी का हिन्दुवाद !

Bhopal Samachar
भोपाल। 30 जनवरी को महात्मा गांधी की 68वीं पुण्यतिथि है। गांधी जी दो बार भोपाल आए थे। आमसभा में अपने भाषण में उन्होंने कुछ ऐसी बात कर दी थी, जिससे पूरे देश में बवाल हो गया था। हालांकि भाषण के बाद उन्होनें स्पष्टीकरण भी दिया था। इस प्रसंग का जिक्र गांधी शताब्दी समिति की किताब 'मध्य प्रदेश में गांधी' में भी किया गया है।

बताया था रामराज, हजरत उमर से की थी नवाब की तुलना
गांधी जी 1929 में नवाब हमीदुल्ला के बुलावे पर पहली बार भोपाल आए थे। नवाब हमीदुल्ला के सादे जीवन की प्रशंसा करते हुए गांधी जी ने उनकी तुलना हजरत उमर से की और कहा कि भोपाल की जनता का यह सौभाग्य है कि उन्हें इस प्रकार के शासक प्राप्त हुए हैं।

नहीं है दुश्मनी
रामराज के बारे में बोलते हुए गांधी जी ने कहा था 'किसी देश के लिए नरेशों यानी राजाओं का शासन भी प्रजातंत्र के समान महानता को प्राप्त करने में समर्थ हो सकता है। यही कारण है कि मेरी देशी नरेशों से कोई दुश्मनी नहीं है। मेरा विश्वास है कि देशी नरेश भी यदि पूरी तरह प्रयत्नशील हों तो देश में रामराज की स्थापना हो सकती है।'

देनी पड़ी थी सफाई
इसके बाद गांधी ने सफाई दी थी। उन्होंने कहा, 'रामराज का अर्थ हिंदू राज नहीं है। मैं मुसलमान भाइयों से कहना चाहता हूं कि वे रामराज का अर्थ गलत न समझें। रामराज से मेरा मतलब है, ईश्वर का राज। मेरे लिए राम और रहीम में कोई अंतर नहीं है। मेरे लिए तो सत्य और सत्कार्य ही ईश्वर है। पता नहीं, जिस रामराज की कल्पना हमें सुनने को मिलती है वह कभी इस पृथ्वी पर था या नहीं, लेकिन प्राचीन रामराज का आदर्श प्रजातंत्र के आदर्शों से बहुत कुछ मिलता-जुलता है और कहा गया है कि रामराज में दरिद्र से दरिद्र व्यक्ति भी कम खर्च में और अल्प अवधि में न्याय प्राप्त कर सकता था।

कुत्ता भी कर सकता है न्याय
यहां तक कहा गया है कि रामराज में एक कुत्ता भी न्याय प्राप्त कर सकता था। यदि देश में शासक और शासित ईश्वर पर भरोसा रखने वाले हों तो वह शासन दुनिया की सभी प्रजातंत्रीय व्यवस्थाओं से उत्तम होगा।'

ये था अर्थ
किताब में कहा गया है कि गांधी जी द्वारा नवाब साहब और रामराज के संबंध में जो कहा गया या लिखा गया था, उसे लेकर काफी विवाद भी हुआ। माना जाता है कि विवाद राजाओं के शासन को प्रजातंत्र से बेहतर बताने के कारण हुआ था। उन्होंने नवाब हमीदुल्ला खां की तुलना हजरत उमर से की थी। हजरत उमर, मुहम्मद पैंगबर साहब के प्रमुख चार साथियों में से एक थे।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!