भोपाल। सागौन की अवैध कटाई और फर्जी टीपी के जरिए किए गए करोड़ों के घोटाले में बालाघाट कलेक्टर रहे वी किरणगोपाल को इंटेलीजेंस की जांच में भी क्लीनचिट दी गई है। इंटेलीजेंस के स्पेशल डीजी सरबजीत सिंह ने जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को सौंप दी है। रिपोर्ट में वन विभाग के डीएफओ, अपर कलेक्टर, एसडीएम सहित छोटे स्तर के कर्मचारियों को दोषी माना गया है। इससे पहले भी फर्जी टीपी मामले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी ने तत्कालीन कलेक्टर के गृहनगर हैदराबाद स्थित गोदावरी में जाकर जांच की थी। इसमें भी एसआईटी ने आईएएस किरणगोपाल को आरोप मुक्त कर दिया था।
सूत्रों के मुताबिक इंटेलीजेंस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि फर्जी टीपी के जरिए बेशकीमती इमारती लकड़ी बाहर भेजने का खेल स्थानीय कलेक्टर कार्यालय और वन विभाग की मिलीभगत से चल रहा था। इस खेल में आदिवासियों की जमीन से बगैर अनुमति पेड काटे जाने के प्रकरण बनाकर मामूली जुर्माना लगाकर उसे वैध कर दिया जाता था। फिर उसकी टीपी बनाकर बेचने का एक सुनियोजित रैकेट चल रहा था । रिपोर्ट में सांई टिम्बर ट्रेडर्स का भी जिक्र है, जिसका हेमर लायसेंस (कोड) 2011 में ही एक्सपायर हो गया था। फिर भी अब तक उसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा था।
बामरा देंगे जीएडी को रिपोर्ट
इधर, जबलपुर कमिश्नर गुलशन बामरा से भी राज्य सरकार ने रिपोर्ट मांगी है। बामरा ने जो प्रारंभिक जांच की है, उसमें अपर कलेक्टर बैहर सीएस परस्ते को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया है। वहीं, पूर्व अपर कलेक्टर एनएस परते के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार से सिफारिश की है। दोनों अफसरों पर पेड़ कटाई की अनुमति में गड़बड़ी किए जाने की बात सामने आई है।