
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा है, ‘क्या मुस्लिम जो कश्मीर में बहुसंख्यक हैं, फिर भी अल्पसंख्यक माने जा सकते हैं? क्या पंजाब में सिख अल्पसंख्यक हो सकते हैं? क्या मेघालय में ईसाई अल्पसंख्यक हो सकते हैं?’ बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से मदद मांगी है और वरिष्ठ वकील टीआर अध्यार्जुन को न्याय मित्र नियुक्त किया है। पंजाब सरकार और एसजीपीसी ने दलील दी है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 2007 के फैसले में सिखों की जनसंख्या आदि के आंकड़ों पर विचार नहीं किया गया है। गुरुद्वारा एक्ट 1925 में सिखों की परिभाषा दी गई है। ऐसे में सिर्फ उस परिभाषा के आधार पर ही किसी को सिख माना जा सकता है।