प्रमोद त्रिवेदी/इंदौर। मामला छोटा सा है, लेकिन प्रदेश के शिक्षा मंत्री पारस जैन से जुड़ा है। जैन दौरे पर नीमच गए तो मध्यप्रदेश टूरिज्म के होटल में रुके। बिल बना 3814 रुपए। इसका भुगतान कोई भी कर देता, लेकिन बात मंत्री जी की थी। संभवतः इसीलिए जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने बिल पर ही लिख दिया- प्राचार्य भुगतान कराएं।
डीईओ का लिखित आदेश देख स्कूल के प्राचार्य ने भी पीटीए (पालक-शिक्षक संघ) मद से चेक काटकर भुगतान कर दिया। अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें गलत क्या हुआ? दरअसल, नियम यह है कि मंत्री रेस्ट हाउस में ही रुकते हैं। अगर प्रशासन किसी कारणवश होटल में व्यवस्था करता है तो सत्कार मद से बिल का भुगतान किया जाता है। पीटीए मद का इस्तेमाल विद्यार्थी हित में ही किया जा सकता है. इसके अलावा कहीं नहीं, एक प्रकार से ये स्कूली बच्चों की निजी गुल्ल्क है।
इसमें एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि जिस स्कूल ने भुगतान किया, उसकी वित्तीय हालत ये है कि पिछले साल किताब खरीदी का महज तीन हजार का बिल भी वह नहीं चुका सका है।
अब मामला खुलते ही संबंधित अनजान बन रहे हैं। मंत्री कह रहे हैं कि वे संबंधित होटल में रुके ही नहीं। स्थानीय सांसद सुधीर गुप्ता (इनका भी नाम बिल में है) भी इससे इनकार कर रहे हैं। डीईओ को तो याद ही नहीं कि बिल पर उनकी टीप कैसे आ गई। हां, भुगतान करवाने वाले प्राचार्य को जरूर सब कुछ याद है।
ये है मामला
19 जुलाई 2015 को शिक्षा मंत्री पारस जैन नीमच गए थे। नीमच में एक रेस्ट हाउस और सीआरपीएफ की ऑफिसर्स मेस है, लेकिन मंत्री एमपी टूरिज्म की लग्झरी होटल में रुके। बिल के अनुसार जैन दोपहर 12 बजे होटल पहुंचे, जिसे जिला शिक्षा अधिकारी ने बुक करवाया। बिल पर डीईओ के अलावा ठहरने वालों के नाम में माननीय पारस जैन, शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश शासन और एमपी नीमच-मंदसौर लिखा है। ठहरने-खाने का बिल बना 3814 रुपए। उस पर डीईओ की टीप है कि प्राचार्य गर्ल्स हासे स्कूल सिंगोली (जिला नीमच) भुगतान करें। इस पर संबंधित प्राचार्य ने 28 अगस्त 2015 को चेक नंबर 1769 के जरिये उक्त बिल का भुगतान पीटीए मद से कर दिया।
600 रुपए की चाय, 300 के बिस्किट, 360 के पकोड़े शिक्षा मंत्री के ठहरने के बिल के अलावा नाश्ते आदि का बिल टैक्स सहित 1874 रुपए है।
पढ़िए लीपापोती वाली प्रतिक्रियाएं
शिक्षा मंत्री के साथ रुकने का कभी संयोग ही नहीं बना। होटल में रुकने का भी मुझे याद नहीं।
सुधीर गुप्ता, सांसद नीमच-मंदसौर
नीमच गया था, मगर पर्यटन होटल या अन्य जगह नहीं, अपने मित्र के यहां ठहरा था। पूरे क्षेत्र में मेरे बहुत रिश्तेदार हैं जो मुझे ठहराते भी हैं और खाना भी खिलाते हैं। शिक्षक-पालक संघ द्वारा बिल भुगतान की बात मेरी जानकारी में नहीं है।
पारस जैन, स्कूली शिक्षा मंत्री
पालक-शिक्षक संघ से किसी के भी ठहरने का भुगतान नहीं हो सकता। इसकी राशि का उपयोग सिर्फ छात्रों के हित में ही हो सकता है। मेरे पास ऐसा कोई बिल नहीं आया और न ही भुगतान के लिए आदेश देने की जानकारी है।
केसी शर्मा, डीईओ, नीमच
सामान्यतः मंत्री महोदय को सर्किट हाउस में ही ठहराते हैं। वह खाली नहीं है तो होटल में इंतजाम करते हैं। भुगतान जिला प्रशासन के सत्कार मद से होता है। ऐसा कतई नहीं होता कि जिस विभाग का मंत्री है, वह विभाग भुगतान करे। शिक्षा मंत्री के मामले की मुझे जानकारी नहीं है।
आदित्य शर्मा, एसडीएम/जिला सत्कार अधिकारी, नीमच
ये खुली पोल
हमारा स्कूल नीमच से 100 किमी दूर है, लेकिन डीईओ साहब ने मंत्री महोदय के बिल भुगतान के लिए लिखित में आदेशित किया और हमने पीटीए मद से भुगतान किया।
राजेंद्र जोशी, प्राचार्य, शा कन्या उमावि, सिंगोली
ये होना चाहिए
मंत्री जब भी दौरे पर जाते हैं तो सरकारी रेस्ट हाउस में रुकते हैं। ऐसा होता ही नहीं कि मंत्री के लिए सरकारी रेस्ट हाउस खाली न मिले। फिर भी रुकना हो तो ठहरने का इंतजाम प्रोटोकॉल ऑफिसर करते हैं।
दीपक जोशी, राज्य शिक्षा मंत्री