भोपाल। यदि आप भोपाल में कोई फल खरीद रहे हैं, तो शायद आपको यह अंदाजा नहीं होगा कि इन फलों के लिए आप कई बड़े शहरों के मुकाबले अधिक कीमत अदा कर रहे हैं। नेशनल हॉर्टीकल्चर बोर्ड की एक ट्रेंड रिपोर्ट के मुताबिक फुटकर में फलों की बिक्री के मामले में सबसे अधिक मार्जिन देने वाला शहर भोपाल है। यानी यहां पर फुटकर में सबसे अधिक दामों में फल बेचे जा रहे हैं।
दिल्ली, मुंबई से महंगे फल
नेशनल हॉर्टीकल्चर बोर्ड की बिजनेस ट्रेंड रिपोर्ट के मुताबिक उदाहरण के तौर पर यदि सेव की कीमतों का आंकलन किया जाए, तो भोपाल में थोक और फुटकर के बीच 150 फीसद से अधिक का मार्जिन है। वहीं मुंबई में 100 फीसद से अधिक, दिल्ली में करीब 90 फीसद और पटना में 80 फीसद से अधिक का मार्जिन है। इसके अलावा यदि अंगूर की कीमतें देखें, तो भोपाल में 200 फीसद से अधिक, मुंबई में 85 फीसद से अधिक, शिमला में 80 फीसद से अधिक और कोलकाता में 75 फीसद से अधिक का मार्जिन है।
व्यापारियों की मोनोपाली
फुटकर में व्यापारियों की मोनोपॉली है। मार्जिन का इतना फर्क यानी शुद्ध रूप से मुनाफाखोरी हो रही है। स्थानीय स्तर पर फलों की पैदावार नहीं होने से यहां पर अधिकतर फल बाहर से आते हैं। इसके अलावा भोपाल में फलों की अच्छी और व्यवस्थित मंडी नहीं है।
डॉ. जीएस कौशल, कृषि विशेषज्ञ
फलों की खेती भी केवल व्यापारियों के लिए लाभ का धंधा है, किसानों के लिए नहीं। फुटकर में फल मनमानी कीमत पर बेचे जा रहे हैं। जो अमरूद कभी 2 से 5 रपए किलो बिकता था, वो अब 25 से 30 रपए किलो बिक रहा है। महानगरों से भी ज्यादा रेट भोपाल में हो गए हैं।
मिश्रीलाल राजपूत, किसान
फुटकर में फलों की कीमतों पर कोई नियंत्रण नहीं है। फुटकर में कितने में भी बेचो, कोई कुछ कहने वाली नहीं है। इसलिए रिपोर्ट में अधिक मार्जिन वाली बात सामने आई है।
अब्दुल रकीब, अध्यक्ष, थोक फल व्यापारी संघ, करोद मंडी