मधुबनी/बिहार। सीतामढ़ी कोर्ट में भगवान श्रीराम पर मामला दर्ज कराया गया है. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई की तारीख सोमवार को रखी है. ऐसे में अगर कोर्ट में मुकदमा स्वीकार कर लिया जाता है तो भगवान राम को कोर्ट में हाजिरी बजानी होगी.
सीतामढ़ी के एक अधिवक्ता ठाकूर चंदन सिंह ने शनिवार को व्यवहार न्यायलय में भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण को अभियुक्त बनाते हुए मामला दर्ज कराया है, जिसमें भगवान राम पर माता सीता को एक धोबी के कहने पर परित्याग करने की बात का जिक्र है और भगवान राम के इस कार्य में उनके भाई लक्ष्मण को भी शामिल दिखाया गया है.
कोर्ट में दायर मुकदमे में कहा गया है कि भगवान राम के आदेश का पालन लक्ष्मण ने किया और उसने माता सीता को भगवान राम के कहने पर राज्य से बाहर जंगल मे जाकर छोड़ दिया. परिवादी के आवेदन पर कोर्ट ने अपनी सुनवाई सोमवार को रखी है जिसमे यह निर्णय लिया जायेगा कि मामला कोर्ट ने स्वीकार कर लिया या फिर रिजेक्ट.
हालांकि, कानून के जानकारों का मानाना है कि इस मामले मे ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिसपर कोर्ट अपनी सहमति दे. दूसरी ओर समाजिक कार्यकर्ता इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का एक हथकंडा बता रहे हैं. कोर्ट में परिवाद दायर करने वाले अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने मिथिला की बेटी का न सिर्फ अपमान किया बल्कि बिना तथ्यों की जांच किये माता सीता पर लगाये गये आरोप पर विश्वास करते हुये उन्हे सजा दे दी.
मर्यादा पुरुषोत्तम राम और माता सीता की शादी सीतामढ़ी से ही सटे नेपाल के जनकपुरधाम मे संपन्न हुई थी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता का सीतामढ़ी के इस पवित्र स्थल पर जन्म हुआ था. मान्यता है कि जब इलाके में अकाल की छाया पड़ी थी तब मिथिला के राजा जनक ने सीतामढ़ी मे हल चलाया तो धरती के गर्भ से माता सीता ने जन्म लिया. सीतामढ़ी और पड़ोसी मुल्क नेपाल में रामायण काल से जुड़े दर्जनों पौराणिक स्थल है. शायद यह वजह है कि माता सीता को मिथिला की बेटी भी कहा जाता है.