“उपचार पर्यटन” से महंगी होती चिकित्सा सेवा

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार विदेशों से भारत आ रहे मरीजों से हो रही आय वर्ष 2020 तक बढ़कर आठ अरब डॉलर (5.34 खरब रुपये) हो जाएगी। फिलहाल विकसित और विकासशील देशों से इलाज कराने के लिए हर साल ढाई लाख मरीज हमारे देश में आते हैं, जिससे तीन अरब डॉलर की आय होती है। महज चार साल में यह कमाई ढाई गुना बढ़ जाएगी और तब हम इस धंधे में दुनिया में अव्वल हो जाएंगे। 30 प्रतिशत सालाना की तूफानी गति से बढ़ रहे इस कारोबार का नाम मेडिकल टूरिज्म  है। अब महानगरों में ही नहीं, छोटे-छोटे नगरों में भी बड़े-बड़े अस्पताल खुल रहे हैं, जिनमें बड़े-बड़े लोग पैसा लगा रहे हैं। भारत के मुकाबले यूरोप, अमेरिका और अधिकांश विकसित देशों में इलाज कराना बहुत महंगा है। भारत में हृदय और हड्डियों की सर्जरी पर 85 प्रतिशत कम खर्च आता है। दंत चिकित्सा और कॉस्मेटिक सर्जरी का व्यय भी करीब एक चौथाई पड़ता है। अन्य सर्जरी भी 35 से 65 प्रतिशत सस्ती हैं।

अपने हुनर के बल पर भारत के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने अच्छा नाम कमाया है। इसी कारण दुनिया के कोने-कोने से मरीज भारत आते हैं। इसके लिए इलाज के पूरे पैकेज तैयार किए जा रहे हैं। कई पैकेज में तो मेडिकल सेवा के साथ-साथ वीजा फीस, हवाई अड्डे से लाने-ले जाने की व्यवस्था, होटल बिल और पर्यटन स्थल घुमाने का खर्च भी शामिल होता है।दूसरी ओर इन भव्य निजी अस्पतालों की चमक में खस्ताहाल सरकारी अस्पतालों की हालत और बिगड़ गई है। विदेशी मरीजों को आकर्षित करने वाले अस्पताल आम भारतीय की पहुंच से बाहर हैं। जब दुनिया भर में जीडीपी का औसतन पांच प्रतिशत हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हो रहा है, भारत में यह आंकड़ा एक प्रतिशत भी नहीं है। योजना आयोग ने 2022 तक इसे 3 प्रतिशत पर ले जाने का वादा किया था, अभी तो भारत में 80 प्रतिशत  मरीजों को इलाज के लिए पैसा अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है।

सभी नागरिकों को बेहतर चिकित्सा सेवा और सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के मकसद से 1983 व वर्ष 2002 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति बनाई गई थी। 2010 में योजना आयोग ने एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसने 17 सिफारिशें की थीं। योजना आयोग ने 12वी पंचवर्षीय योजना में जन-स्वास्थ्य की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र पर डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया। जन-स्वास्थ्य में निजी क्षेत्र हमेशा से एक भूमिका निभाता रहा है, लेकिन वह सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा का विकल्प नहीं बन सकता।
  • श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। 
  • संपर्क  9425022703 
  • rakeshdubeyrsa@gmail.com

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!