राजस्थान। जालोर में सांचौर के होथीगांव के शिव मंदिर का इतिहास जितना पुराना है उतना ही चमत्कारी भी है. इसका इतिहास हजारों साल पुराना बताया जा रहा है. इस मंदिर को देखने देश के कोने-कोने से लोग आते हैं.
जहां पर इस समय ये शिव मंदिर है वहां पर हजारों साल पहले कुछ नहीं था. केवल जंगल ही जंगल थे. जंगलों में गाय चराने के लिए चरवाहा आया करते थे. इतिहास में सुनने को मिलता है कि वहां जंगल में एक नाग देवता की तस्वीर पत्थर पर हुआ करती थी, जिस पर गाय खड़ी रहती थी और गाय के अपने आप स्तन से दूध नाग देवता की तस्वीर वाले पत्थर पर गिरता था. आस पास के लोगों को जब गवालों ने इसके बारें में बताया तो ग्रामीणों को बड़ा आश्चर्य हुआ और गवालों के साथ ग्रामीण भी गायों के पीछे-पीछे चल पड़े. गाएं हर रोज की तरह पत्थर पर जाकर खड़ी हुईं और गायों के स्तन से अपने आप दूध निकलने लगा इसे ग्रामीणों ने चमत्कार मानते हुए शिव भगवान की पूजा करने लगे.
ये भी है मान्यता
होथीगांव के शिव मंदिर को लेकर चमत्कार से जुड़ी मान्यता यह भी है कि इस जंगल वाले स्थल को हजारों साल पहले हसनापुर के नाम से जाना जाता था. जहां पर घी, दूध की नदियां बहती थीं और बड़ी आस्था के साथ लोग महादेव की पूजा करने दूर दूर से आते थे. वहीं महादेव के चमत्कार को देख आश्चर्य में पड़ जाते थे. फिर धीरे-धीरे महादेव के चमत्कार की बातें दूर-दूर तक होने लगीं और लोगों की भीड़ जुटने लगी. इसके बाद महादेव की मूर्ति प्रकट हुई, जिसके बाद होथीगांव में शिव मंदिर बना.