सिहोरा। जबलपुर जिले की मझोली विधानसभा के दिनारी खम्हरिया ग्राम पंचायत के खिरका डोगरी गांव जो जबलपुर जिले से 50 किमी और जिले की सबसे बड़ी तहसील से महज 8 किमी कि दूरी पर है। यह गांव जहां पर स्कूल तो है लेकिन स्कूल में दर्ज बच्चों की संख्या के हिसाब 15 से 20 प्रतिशत बच्चे ही विद्यालय पहुंचते है।जबकि मध्यान भोजन में उपस्थिति सभी बच्चों की दर्ज की जाती है। बरसात के दिनों में ज्यादातर स्कूल बंद ही रहता है क्योंकि खेतों की मेड से होकर नाले को पार करके गांव पहुंचना पडता है। यहाँ गाँव के अंदर न तो आरसीसी रोड बनी है और न ही गाँव वालों को शासकीय योजनाओं के बारे में पता चलता है। आज भी यहां के लोग आदिमानव जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं।
पूरा गांव बनाता है कच्ची शराब
इन्ही सब मजबूरियों की वजह से रोजगार न मिलने के कारण यहाँ के लोग कच्ची शराब उतारने के लिए मजबूर हैं जबकि मझोली विधानसभा से ही भाजपा के एक नेता मंत्री रह चुके हैं लेकिन उनका ध्यान कभी इन गरीब लोगो की तरफ नही गया। इनके लिए योजनाएं तो आती हैं लेकिन सिर्फ कागज के टुकड़ो में ही पूरी हो जाती हैं जिससे आज भी ये लोग आधुनिकता के दौर में पिछड़े हुए हैं ।
आजादी के इतने वर्षों बाद भी नही है कच्ची सड़क तक
जबलपुर महानगर से 50 किमी एवम् सिहोरा से महज 9 किमी की दूरी पर है ये गांव लेकिन आज भी इस गाँव में पहुंचने के लिए खेत की मेड़ों से होकर जाना पड़ता है यहां गाँव तक पहुंचने के लिए कोई सुगम कच्चा मार्ग तक नही है इस गाँव में रोजगार मुहैया न होने की वजह से यहाँ के लोग कच्ची शराब बनाने का व्यवशाय तो करते ही हैं लेकिन इस को करने में इनके बच्चे भी शराब बनाने में सहयोग करते हैं
स्कूल जाने की उम्र में बाल मजदूरी
जिस उम्र में इन बच्चों को स्कूल जाना चाहिए वहीँ ये बच्चे शराब बनाने मजबूर हैं न ही कोई जनप्रतिनिधि का इस ओर ध्यान जा रहा है ।इस विषय में इन बच्चों के अभिभावकों ने बताया की रोजगार न होने की वजह से अपने साथ बच्चों को भी काम में लगाते हैं जिससे थोड़ी अधिक आमदनी हो जाती है।
पुलिस और मीडिया के लोगों को देख कुत्ते दौड़ा देते हैं पीछे
यहाँ के लोग मीडिया और पुलिस के लोगों को देख कुत्ते पीछे छोड़ देते हैं हमारी टीम ने बहुत ही जोखिम भरा कदम उठाकर इन लोगों की समस्याओं को सामने लाने का प्रयाश किया है।
रिपोर्ट नारायण मिश्रा