भोपाल। शादी समारोह में रात 10 बजे तक डीजे बजेंगे या नहीं, इसका फैसला राज्य सरकार के उस जवाब से तय होगा जो एनजीटी में दिया जाएगा। एनजीटी ने राज्य सरकार से पूछा है कि वो ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और एक्ट के तहत नियमों का पालन करा सकती है या नहीं। सरकार का जवाब आने तक डीजे के उपयोग पर रोक लगी रहेगी। एनजीटी ने राज्य सरकार को 5 फरवरी तक का समय दिया है। तालाब के किनारे स्थित मैरिज गार्डन्स द्वारा किए जा रहे पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को एनजीटी में सुनवाई हुई। सुनवाई डीजे पर केंद्रित रही। डीजे संचालकों की ओर से पैरवी कर रहे वकील आयुष वाजपेयी ने दलील दी कि ध्वनि प्रदूषण के नियमों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत रात 10 बजे तक 75 डेसीबल तक आवाज मान्य है।
जबकि याचिकाकर्ता के वकील विवेक चौधरी ने मोटर व्हीकल एक्ट के तहत एम्प्लीफायर और डिस्को लाइट के उपयोग पर सवाल खड़े किए। सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद एनजीटी ने कहा कि तमाम नियमों के बाद भी रात दस बजे के बाद तक डीजे बजते हैं और वो भी 75 डेसीबल से ज्यादा आवाज में। ऐसे में जब तक राज्य सरकार कानून का पालन कराने में सख्ती करना तय नहीं करती, तब तक डीजे पर लगी रोक नहीं हटाई जाएगी।
हर शर्त मानने को तैयार डीजे संचालक
पिछली सुनवाई में डीजे संचालकों ने ध्वनि व वायु प्रदूषण सहित अन्य नियमों के पालन की दलील थी। वे डीजे की आवाज 50-55 डेसीबल तक करने को तैयार थे। वहीं, बारात में ट्रैफिक जाम रोकने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की नियुक्ति करने का भी वादा किया था।