सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर ने सार्वजनिक वितरण प्रणालि के तहत चावल घोटाले को आडे हाथों लिया है इसी के साथ बालाघाट कलेक्टर को गंभीरता पूर्वक जांच कराकर दोषियों को दण्डित करने की जिम्मेदारी सौपी है।
वरिष्ट न्यायमूर्ति श्री शांतनु केमकर की एकलपीट में मामले की सुनवाई हुई इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता वारासिवनी जिला बालाघाट निवासी पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता आनंद ताम्रकार का पक्ष अधिवक्ता डाॅ.श्री अनुवाद श्रीवास्तव ने रखा उन्होने दलील दी की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आगंन बाडीयों के जरिये गरीब महिलाओं तथा बच्चों एवं मध्यान्ह भोजन के रूप में बच्चों तथा उपभोक्ताओं को वितरण किये जाने के लिये जो चावल विदिशा भेजा गया वह घटिया और अमानक स्तर का था। इस वजह से 52 हजार क्विटंल बेकार चावल का रैंक लेने से महाप्रंबंधक द्वारा इंकार कर दिया गया। चुकि बालाघाट में चावल सप्लाई के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ है अतः उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिये।
यह इस लिये भी अवश्यक है क्योंकि चावल का उपयोग होने पर गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों एवं सामान्यजनों का नुकसान हो सकता है। इससे कुपोषण की रोकथाम की योजना पर भी बुरा असर पडेगा क्योंकि प्रदेश में बच्चों के कुपोषण की दर में वृद्धि हो रही है।
याचिकाकर्ता के अनुसार बालाघाट से विदिशा भेजा गया उक्त अमानक चांवल को अपग्रेड करने हेतु प्रदायकर्ता राईस मिलर्स को 7 दिन का समय दिया गया है लेकिन 4 माह गुजर जाने के बाद भी 52 हजार क्विंटल अमानक चांवल मे से केवल 5 हजार क्विंटल चांवल ही अपगे्रड किया गया है।