IDB CREDIT का जालसाज MD गिरफ्तार

राजस्थान। IDBI BANK के मिलते-जुलते नाम से IDB CREDIT COOPERATIVE बनाकर करीब 5.10 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने के मामले में कोतवाली पुलिस ने 6 माह से फरार मास्टरमाइंड सोसायटी के प्रबंध संचालक राजवीरसिंह राजपुरोहित को जयपुर से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी एमडी गणतंत्र दिवस पर जयपुर में अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए आया था। इसकी भनक मिलते ही पुलिस ने उसे दबोच लिया। गुरुवार शाम पुलिस उसे लेकर जयपुर पहुंची। 

आरोपी की गिरफ्तारी की जानकारी के बाद कोतवाली के बाहर बड़ी संख्या में निवेशकों की भीड़ जमा हो गई। 3 साल पहले सूरजपोल क्षेत्र में दफ्तर में खुली आईडीबी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने लोगों में पैठ जमाने के लिए स्थानीय युवाओं को लंबे-चौड़े कमीशन पर निवेशकों को आकर्षित करने का रास्ता अख्तियार किया था। 

इसअवधि में सोसायटी में करीब 10 हजार से अधिक खाते खोलने के साथ ही बड़ी रकम की एफडीआर भी की गई थी। नागरिकों में विश्वास जमाने के लिए संचालकों ने कुछ निवेशकों को तो एफडीआर परिपक्व होने पर राशि ब्याज समेत लौटा दी। इसके बाद कंपनी के पास करीब 5 करोड़ से अधिक राशि इकट्ठी हुई तो एमडी राजवीरसिंह राजपुरोहित अन्य संचालक मंडल के सदस्यों तथा स्टॉफ के साथ ऑफिस पर ताला लगाकर फरार हो गया था। इस मामले का मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने 4 महीने तो जांच में ही बिता दिए थे। 

इसके बाद निवेशक अरविंद धारीवाल तथा कमलेश कल्ला ने कोर्ट से मुकदमा दर्ज करवाया। पुलिस ने पूर्व में उसकी तलाश में अजमेर सहित कुछ जगह छापेमारी भी की लेकिन आरोपी हर बार बच निकला। हाल ही एसपी दीपक भार्गव ने मामले में त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस पर कोतवाली के एसआई पोलाराम ने सोसायटी के कोषाध्यक्ष उम्मेदसिंह राजपुरोहित कर्मचारी अशोक मेघवाल को गिरफ्तार कर लिया था। गुरुवार को पुलिस दल ने प्रबंध संचालक राजवीरसिंह राजपुरोहित को भी गिरफ्तार कर लिया। 

जमीनों में निवेश करने के साथ मौज-मस्ती में उड़ाए लाखों रुपए 
पुलिसको आरोपी से की गई प्रारंभिक पड़ताल में पता चला है कि आरोपी शुरू से ही बड़ा गेम करने के मंसूबे पाले हुआ था। इसके चलते अपने बहनोई तथा साले को भी सोसायटी में प्रमुख पदों पर बिठा दिया। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए देश की प्रमुख बैंकिंग संस्थान आईडीबीआई के मिलते-जुलते नाम से सोसायटी बनाना भी इसी साजिश का एक हिस्सा था। आरोपी ने निवेशकों से करोड़ों रुपए अपनी सोसायटी में निवेश कराने के बाद फरार हो गया। पता चला है कि आरोपी ने काफी पैसा प्रॉपर्टी खरीदने में भी खर्च किया है। 

जिलेभर से पहुंचे 700 से अधिक परिवाद 
सोसायटीके संचालकों के फरार होने के बाद निवेशकों के होश उड़ गए। इस सोसायटी के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज होने के बाद कोतवाली के साथ ही रोहट तथा बाली समेत अन्य स्थानों पर धोखाधड़ी का शिकार बने लोगों की शिकायतों का अंबार लगना शुरू हो गया। वर्तमान में पुलिस के पास करीब 700 से अधिक परिवाद पहुंच चुके हैं। पुलिस इन परिवादों का अलग से मुकदमा दर्ज करने के बजाय पूर्व में ही दर्ज मुकदमे के साथ यह शामिल कर रही है। इस बारे में पुलिस का कहना है कि आरोपी एक ही होने तथा मुकदमा का नेचर एक जैसा होने के कारण यह किया जा रहा है। 

अन्य आरोपियों की भूमिका को लेकर पूछताछ 
पुलिसमुख्य आरोपी राजवीरसिंह राजपुरोहित से पूछताछ कर अन्य आरोपियों के बारे में पता लगा रही है। इसके साथ ही दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों को भी बुलाकर उनकी भूमिका के बारे में पता किया जा रहा है। निवेशकों को मुख्य आरोपी के गिरफ्तार होने की जानकारी के बाद कोतवाली के बाहर बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई। 

साला-बहनोई के नाम से रजिस्टर्ड कराई सोसायटी 
आरोपी ने फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिक अपने बहनोई प्रेमसिंह राजपुरोहित को सोसायटी का अध्यक्ष बना लिया था। वहीं खुद के साले उम्मेदसिंह राजपुरोहित को सोसायटी का कोषाध्यक्ष बनाकर सोसायटी का सहकारिता विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाया था। अध्यक्ष ने सोसायटी में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज होते ही अपने-आपको निर्दोष बताते हुए पूरे मामले से अलग कर लिया था, जबकि अध्यक्ष के रूप में वह शुरू से ही कार्यरत था। उसके हस्ताक्षरों से चेकों पर लेन-देन करने का भी आरोप है। 

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