
भोपाल, रतलाम, गुना, अशोकनगर, नीमच, होशंगाबाद, सीहोर, कटनी और सतना जैसे जिलों में अब तक जिलाध्यक्ष तय नहीं हो पाए हैं। जिलाध्यक्षों के मनोनयन में कही प्रदेश सरकार के मंत्री और संगठन मंत्रियों के बीच विवाद है तो कहीं विधायक और सांसद अलग-अलग नामों को लेकर अड़े हैं। भोपाल में भी एक अनार सौ बीमार की स्थिति है। यहां जिलाध्यक्ष के लिए आधा दर्जन नामों पर द्वंद्व छिड़ा हुआ है।
यहां चरम पर है विवाद
होशंगाबाद: मंत्री सरताज सिंह और विधानसभा अध्यक्ष डाक्टर सीतासरन शर्मा की ओर से जिला महामंत्री अनिल बुंदेला का नाम आगे किया गया है, दूसरी तरफ संगठन मंत्री जितेन्द्र लिटौरिया पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष माया नारौलिया को जिलाध्यक्षी सौंपना चाहते हैं। वहीं एक विधायक पिपरिया के नेता और पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर जायसवाल के पक्ष में मैदान में हैं।
सीहोर: मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के कारण उनकी पसंद का अध्यक्ष बनना तय है पर फिर भी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। यहां जिला उपाध्यक्ष रवि मालवीय, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष धर्मेन्द्र चौहान एवं प्रवक्ता राजकुमार गुप्ता के नामों पर विचार हो रहा है। पूर्व मंत्री करण सिंह वर्मा जगदीश मेवाड़ा और पूर्व विधायक रमेश सक्सेना रमाकांत समाधिया को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं।
नीमच: पूर्व मुख्यमंत्री रहे सुंदरलाल पटवा के गृह जिले में पटवा गुट अनिल चौधरी की ताजपोशी चाह रहा है। संगठन नपाध्यक्ष रहे महेन्द्र भटनागर और संतोष चौपड़ा के नाम आगे कर रहा है।
गुना: संगठन नेताओं ने पूर्व मंत्री के एल अग्रवाल का नाम जिलाध्यक्ष के लिए आगे किया है पर विधायक ममता मीणा उनके नाम का विरोध कर रही हैं। वे मंडल चुनाव को लेकर भी सवाल उठा चुकी हैं। वर्तमान अध्यक्ष हरिसिंह यादव के अलावा मनोज दुबे भी दावेदार हैं। उनका समर्थन संघ के कुछ नेता कर रहे हैं। विधायक पन्नालाल शाक्य गोविंददास राठी का नाम आगे बढ़ा रहे हैं।
अशोकनगर: यहां से पूर्व विधायक देशराज सिंह खुद बड़े दावेदार हैं पर संगठन के नेता उन्हें पसंद नहीं कर रहे हैं। अशोकनगर को लेकर प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदर्शन भी हो चुका है। यहां संगठन के कुछ नेता नीरज मनौरिया को रिपीट करने के पक्ष में है तो मंत्री यशोधरा राजे राव राजकुमार सिंह के पक्ष में बताई जाती हैं।