भोपाल। भ्रष्टाचार के मामले में जेल गए डीआईजी उमेश गांधी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी आय से 415 प्रतिशत ज्यादा अनुपातहीन संपत्ति इकट्ठा की। लोकायुक्त की ओर से 4 हजार पन्नों के चालान में इसका सिलसिलेवार ब्यौरा पेश किया गया है। 2 नबंवर 2012 को लोकायुक्त पुलिस ने उमेश गांधी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था।
1 - डीजी जेल को भेजी ही नहीं थी लोन की जानकारी
गांधी ने 3 अप्रैल 1996 में विभाग को पत्र लिखकर बेटे प्रांजल और बेटी पलक से अस्थाई लोन लेना बताया था। जांच में सामने आया कि गांधी की शादी 1989 में हुई थी। और वर्ष 1996 में जब उन्होंने अपने बच्चों से लोन लेना बताया उस समय बेटे की उम्र 6 साल और बेटी महज 2 साल की थी। लोकायुक्त टीम ने जांच में जब इस संबंध में डीजी जेल से जानकारी चाही तो वहां से जबाव आया कि कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। इसके बाद जेल एसपी के आॅफिस से जानकारी मांगी तो पता चला कि अस्थाई ऋण की जानकारी डीजी जेल को भेजी ही नहीं गई। जांच में सामने आया कि अपने नाबालिग बच्चों से ऋण लेना संदिग्ध था और बेनामी कमाई को वैध बताने का प्रयास किया गया।
2 - पत्नी के नाम पर खरीदी संपत्ति, हर बार लिखाया नया पता
3 नवंबर 2012 में छापे के वक्त गांधी की पत्नी अर्चना (गृहिणी) की आय के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। जांच में पाया गया कि गांधी ने पत्नी के नाम पर कई संपत्ति खरीदी। हर बार अर्चना का पता नया था। कई संपत्तियों पर पति के स्थान पर पिता और मायके के अन्य परिजनों का पता लिखवाया। अर्चना को भी षड्यंत्र का सहभागी माना गया है।
3- भाई जेल प्रहरी, विलासिता का सामान देख टीम हैरान
उमेश गांधी के कार्यकाल में उनके छोटे भाई अजय गांधी जेल प्रहरी के पद पर पदस्थ रहे। लोकायुक्त की टीम ने जब आेल्ड सुभाष नगर स्थित अभिरूचि परिसर के मकान नंबर एचबी 27 में अजय के घर पर छापे की कार्रवाई की तो विलासिता का सामान देखकर सब हैरान रह गए।
4- जिस भतीजे के नाम खरीदी प्रॉपर्टी उसे पता ही नहीं
जांच में लोकायुक्त टीम उमेश के भतीजे रोहित गांधी तक पहुंची। सागर के श्रीराम नगर में किराए के मकान में रहने वाले रोहित की सागर में फास्ट फूड की दुकान है। टीम ने जब रोहित को इंदौर के पं. दीनदयाल नगर के बीएच 10, जूनियर एचआईजी कीमत 20 लाख 51 हजार रुपए (वर्तमान कीमत 75 लाख) के दस्तावेज दिखाए तो रोहित ने बताया कि न तो उसका कोई मकान इंदौर में है और उसने कभी ऐसे किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए। मामले में महत्वपूर्ण गवाह रोहित को आश्चर्य है कि चाचा उमेश गांधी एवं चाची ने मकान खरीदने के दस्तावेज उसके नाम से क्यों बनवाए। रोहित कहता कि वह कभी मकान खरीदने नहीं गया न ही उसने कोई रकम मकान मालिक विष्णु चौकसे को दी।
चाचा चाची ने कभी नहीं बताया कि वह उसके नाम से इंदौर में मकान खरीद रहें है। उन्होंने मेरे नाम का इस्तेमाल किया है। वर्तमान में इस मकान की कीमत 75 लाख रुपए है। मकान के असल दस्तावेज छापे में उमेश गांधी के पास जब्त हुए थे।
5- निवेश को छुपाने के लिए खरीद रखे थे 67 स्टाम्प पेपर
2012 में गांधी के घर की तलाशी में परिजनों के नाम से जारी कराए गए खाली स्टाम्प पेपर मिले। गांधी ने इंदौर, भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर, सतना और रीवा के स्टाम्प वेंडरों से अलग-अलग कीमत के 67 स्टाम्प पेपर खरीदे। जांच में सामने आया कि गांधी अघोषित आय के निवेश को छुपाने के लिए इन पेपर्स पर सुविधानुसार लिखा पढ़ी कराना चाहते थे।
छापे में मिली थी 25 करोड़ रुपए की संपत्ति
गांधी के भोपाल और इंदौर स्थित ठिकानों पर लोकायुक्त ने 3 नवंबर 2012 को छापे मारे थे। इस दौरान लोकायुक्त को गांधी के इंदौर, भोपाल, सागर के बंडा में मकान, प्लॉट समेत मनाली में रिसॉर्ट होने की जानकारी मिली थी। कार्रवाई के बाद गांधी को शासन ने सस्पेंड भी कर दिया था। लेकिन अपनी बीमारी के दस्तावेज के आधार पर बहाल हो गए थे। गांधी ने अपने भाई और बहन को भोपाल जेल में प्रहरी बना रखा था।