मप्र की एक यूनिवर्सिटी और 2 कॉलेज बनेंगे वर्ल्ड क्लास

भोपाल। प्रदेश का एक विश्वविद्यालय और दो कॉलेजों को विश्वस्तरीय बनाया जाएगा। शिक्षण संस्थानों के चयन और उन्हें विश्वस्तरीय बनाने के लिए क्या पैमाने होना चाहिए। इसके लिए देश-विदेश के विशेषज्ञों की समिति गठित की जाएगी। वहीं राशि की व्यवस्था विश्वबैंक से लोन लेकर की जाएगी। शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों और प्रतिस्पर्धा के कारण ऐसा किया जा रहा है।

इस तरह के निर्देश उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने हाल में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में दिए। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने भी इस दिशा में जल्द काम शुरू करने के लिए कहा है। अब उच्च शिक्षा विभाग को यह तय करना है कि प्रदेश के किस विश्वविद्यालय और किन दो कॉलेजों को विश्वस्तरीय बनाया जाएगा।

विशेषज्ञ होंगे शामिल
उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय और कॉलेज कैसे हों, इनमें क्या-क्या विशेषताएं और सुविधाएं हों इसके लिए विशेषज्ञों का पैनल बनाया जाएगा। वे कंसल्टेंट के रूप में काम करेंगे। इसमें ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा, जिन्हें इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने का अनुभव है। ऐसा काम प्रदेश में पहली बार हो रहा है। इसके पूर्व हर विश्वविद्यालय को दो विभागों को मॉडल विभाग बनाना था, जो उनके विश्वविद्यालय की पहचान बन सके।

आधुनिक तकनीक से लैस होंगे
उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए यह रिपोर्ट तैयार हो रही है कि विश्व के नामी-गिरामी शिक्षण संस्थानों में किस तरह की कार्यप्रणाली है। वहां कैसे कोर्स संचालित होते हैं और रिसर्च आदि को लेकर क्या किया जा रहा है। इसके अलावा अकादमिक स्टाफ, विद्यार्थियों के चयन आदि को लेकर भी जानकारी जुटाई जा रही है। ये शिक्षण संस्थान आधुनिक तकनीकी से लैस होंगे। सिलेबस और कोर्स भी भिन्न हो सकता है।

अध्यापन पैटर्न होगा अलग
जानकारी के मुताबिक जिस विश्वविद्यालय और दो कॉलेजों का चुनाव किया जाएगा वहां का अत्याधुनिक लैब और लाइब्रेरी के अलावा रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा। विद्यार्थियों के चयन को लेकर भी यहां कट ऑफ मार्क्स और नियम-शर्तें भिन्न रखी जा सकती हैं। आयुक्त, उच्च शिक्षा उमाकांत उमराव का कहना है कि प्रदेश का एक विश्वविद्यालय और दो कॉलेजों को विश्वस्तरीय बनाया जाना है। इसके मापदंड क्या होंगे और कैसे इनका चयन किया जाएगा इसके लिए विशेषज्ञों की समिति गठित की जाएगी। किस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय स्तर लागू किए जाएं, इसके लिए कंसल्टेंट नियुक्त किए जाएंगे।

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