भोपाल। जो काम करोड़ों लुटाने वाले सरकारी इंजीनियर नहीं कर पाए वो भोपाल की एक इंजीनयरिंग स्टूडेंट नैन्सी वर्मा ने कर डाला। उसने पानी से बिजली बनाने की एक नई तकनीक इजाद की है। इस तकनीक में बिजली बनाने के लिए बड़े-बड़े बांध बनाने की जरूरत नहीं होगी और बांध से चार गुना ज्यादा बिजली पैदा होगी। नैंसी के इस मॉडल के पेटेंट को भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
बांध से चार गुना ज्यादा पैदा होगी बिजली
23 वर्षीय नैंसी के मुताबिक, उन्होंने अपनी थ्योरी में छह मीटर आकार के एक जैसे चार रिजर्वायर टैंक का इस्तेमाल किया है। पहले टैंक के ऊपरी हिस्से में एक रैम लगाई गई है जो बाहरी प्रेशर पैदा करती है। इस टैंक से पानी टरबाइन पर जाकर गिरता है और टरबाइन घूमने लगता है, इससे बिजली पैदा होने लगती है। टरबाइन को टैंक से दो मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया है।
नैन्सी ने बताया, टरबाइन से टकराने के बाद पानी दूसरे टैंक में चला जाता है। फिर पहले टैंक वाली प्रक्रिया दूसरे टैंक में आरंभ हो जाती है। इस तरह पानी तीसरे और फिर चौथे टैंक में जाता है और यही प्रक्रिया जारी रहती है। चौथे टेंक से पानी फिर पहले टैंक में आ जाता है।
नैन्सी के मुताबिक, इस प्रक्रिया से बांध के मुकाबले चार गुना ज्यादा बिजली पैदा की जा सकती है और लागत भी काफी कम आएगी। क्योंकि बांध में एक बार उपयोग किए गए पानी का दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता, लेकिन इसमें चार बार उपयोग होता है।
नैन्सी का दावा है कि उनका डिजाइन बिजली बनाने में आने वाली बहुत सी मुश्किलों को आसान कर देगा। उन्होंने इस मॉडल को आरएमएन हाइड्रो पावर प्लांट नाम दिया है। नैन्सी राजधानी के राधारमण इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी में बीई फोर्थ ईयर की स्टूडेंट है।
इस कान्सेप्ट से बिजली तैयार करने के लिए केवल 1000 वर्गमीटर जमीन की जरूरत है, जबकि बांधों के लिए हजारों एकड़ जमीन की जरूरत होती है।