शिक्षा विभाग नही चाहता शिक्षा ,शिक्षक व अध्यापक का विकास

करेली [नरसिंहपुर]। जिले मे शिक्षा का विकास की कमान थामने वाले शिक्षा विभाग के आला अधिकारी और वर्षो से डीईओ कार्यालय मे जमे सेटिंग का खेल अंजाम देने वाले कर्मचारी लगता है अब अपना मूल काम भूल चुके है! जब तक जिले के शिक्षा जगत की रीढ शिक्षक व अध्यापक सन्वर्ग को लगातार खुद के विभाग और जिला प्रशासन द्वारा ही कुन्ठित किया जाता रहेगा तो शासकीय स्कूल की हालत और नौनीहालो का भविश्य सुधार के लिये जरुरी शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर भी कहाँ से आयेगा!

एक तरफ़ जब विभागीय योजनाओ की बात आती है तो तमाम आदेश दिखाकर ढूढ ढूढकर हर एक बच्चे तक को लाभ दिलवाया जाता है जिसके लिये स्कूल शिक्षक को कितने भी पापड बेलने पड़ते है वही अनेको प्रकार के गैरविभागीय एवं अशैक्षनिक कार्यो को अनुशासन व छात्र हित की दुहाई देकर शाला समय के पूर्व या बाद मे कार्य कराकर दंड का भय और समीक्षा करके अंतत: करा ही लिया जाता है !

कभी कभी तो ये अधिकारी पडाई छोड़कर भी ये कार्य तुरंत करने को कह्ते है !आये दिन की कागजी डाक व जानकारी तैयार करना, अनावश्यक मीटिंग मे जाना.जनशिक्षक की रोज रोज की बैगार निपटाना, बैंक और कई विभागो के नये नये फरमान तामील करना ये शिक्षा सन्वर्गो को शिक्षक के बजाय बहुद्देशीय कार्यकर्ता बना दिया है !सुप्रीम कोर्ट और सबसे बडे शिक्षा कानून आर टी ई मे पडाई के अलावा और कार्यस्थल के अलावा शिक्षक से कही और का कोई भी गैरशैक्षणिक कार्यो पर सीधी रोक लगाई गई है मगर शासन प्रशासन स्वयं कानूनी प्रावधानो को सिरे से नकार रहे है !

कर्मचारी संघ ,अध्यापक संगठन भी पुरजोर आवाज नही उठा पा रहे है ! जनप्रतिनिधि भी शिक्षा सुधार के इस कार्य से बेखबर स्वदेशी शिक्षा प्रणाली लागू करवाने मे रूचि नही ले रहे है  ! वर्षो से लोर्ड मैकाले की शिक्षा नीति को कौसने वाले नीति नियन्ता आज तक विभाग मे मात्रभाषा शिक्षण और अन्ग्रेजी के बजाय संस्कृत निष्ठ शिक्षण पद्धति को विकसित कर लागू नही कर पाये है क्यूकि आज विग्यान और कम्प्यूटर शोधो मे संस्कृत को सर्वाधिक उपयुक्त भाषा के रुप मे अधिमान्यता दी जा चुकी है !कई विदेशी देशो मे हिंदी और संस्कृत को प्रमुखता से अद्धययन किये जाने के बाद भी हमारे देश मे हम विदेशी चिन्तन को तरजीह देकर नित नये प्रयोगो के रुप मे लागू कर देश की शिक्षण ,शिक्षा व शिक्षको को बदनाम करने मे जुटे है जो शिक्षा अधिकारीयो की मानसिक गुलामी का सूचक है !अभी हाल ही मे व्यापक स्तर पर जिले मे विकासखंड स्तर के शिक्षक समस्या निदान शिविर आयोजित हुये जिनमे सैकडो शिक्षक व अध्यापको की कठिनाईया उजागर हुए मगर आज तक ये सारी समस्याये फ़ाइलो मे ज्यो की त्यो कैद हो गयी है कोई निदान नही किया जा रहा है ,सारे निदान शिविर शौ पीस साबित हुए आज तक !आज जब जिले और प्रदेश मे सहायक शिक्षको की पदोन्नती की बात पिछले तीन साल से जिले के अधिकारी लटकाये है कई शिक्षक जिस पद पर नियुक्त हुए उसी पद से 35-40 वर्षो की सेवाये देने के बाद भी रिटायर्ड हो रहे है जो विभाग के लिये शर्मनाक बात है !शिक्षको की पदोन्नती ,कृम्मोन्नती ,वित्तिय देयक,एरियर्श राशि लटकाना,स्वत्वो का समय पर निराकरण न करना ये संकुल ,डी डी ओ ,जिला लिपिको के आये दिन के कारनामे हो गये है ! शिक्षा जैसे पवित्र पेशे से जुडे विभाग मे भ्रशटाचार खुलेआम हो रहा है ,नही तो डी पी आई कार्यालय ,कलेकटर के निर्देशो ,शिक्षक संघो के ज्ञापन देने के बाद भी सालो पद्दोन्नती लटकना घोर लापरवाही का खुला सूचक है !

अब तो जिला और विभागीय परामर्षदात्री समिती मे हुये निर्णय लागू ही नही किये जा रहे जो कि सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशो का खुला उल्लनघन है !जिला कलेक्टर विगत वर्षो से अध्यापको और शिक्षको की पदोन्नती प्रक्रिया पूर्ण करने का बार बार  आदेश कर चुके है मगर डी ई ओ अधिकारी और स्थापना लिपिको की हीलाहवाली के चलते कार्य आज भी पूरा होता नही दिखता !!!शिक्षा अधिकारीयो को समझना होगा कि जब तक शिक्षा सम्वर्गो के जायज हक़ उन्हे समय और प्राथमिकता से नही मिलते तब तक सारी गुणवत्ता विशयक बाते बेमानी है !

ताजा तुगलकी आदेश से सहायक शिक्षको की पदोन्नती लंबे समय तक लटकने के पूरे आसार बन गये है क्यूकि ऐन वक्त पर अब आरक्षित वर्ग के शिक्षको से उनके जाति प्रमाण पत्र तलब करना विभागीय मन्शा के विपरीत एवं शिक्षको के हको के विरुद्ध है ,वैसे भी ये सत्यापन तो हर कर्मचारी व अधिकारी का विशेष अभियान के तहत बाद मे कराया जा सकता है ,इस बहाने से पदोन्नती अटकाना शिक्षको के साथ सरासर नाइंसाफी होगी !!!

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!