इंदौर। डॉक्टरों की घुचड़ूं राइटिंग कोन नहीं जानता, लेकिन उनकी घुचड़ूं राइटिंग उन्ही के लिए तनाव का कारण बन गई। ऑप्टिकल मार्क रेकग्निशन (ओएमआर) शीट में घुचड़ूं राइटिंग में रोल नंबर लिखने के कारण पीएससी ने उसकी शीट ही नहीं जांची। हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कोर्ट ने पीएससी को दोबारा शीट जांचने और अंतिम रिजल्ट आने तक एक पद खाली रखने के आदेश दिए।
मामला डॉ. पूनम सोनगरा का है। सितंबर 2013 में पीएससी ने आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। डॉ. पूनम ने भी नौकरी के लिए आवेदन किया। पीएससी ने उन्हें 105603 रोल नंबर जारी किया। डॉक्टर ने परीक्षा तो दी, लेकिन 28 मई 2015 को पीएससी द्वारा जारी परिणाम में उनका सिलेक्शन नहीं हुआ, जबकि उन्हें 360 में से 300 अंक मिलने की उम्मीद थी। उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत पीएससी से जानकारी निकाली तो पता चला कि ओएमआर शीट में उनके द्वारा लिखे रोल नंबर में शून्य बराबर नहीं बनाए जाने की वजह से उनकी शीट जांची ही नहीं गई।
डॉ. सोनगरा ने वकील एनएस भाटी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से तर्क रखे गए कि सिर्फ शून्य बनाने में हुई मामूली गलती की वजह से याचिकाकर्ता को पूरी चयन प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने याचिका स्वीकारते हुए पीएससी को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता की शीट की दोबारा जांच करे। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि दोबारा जांच में याचिकाकर्ता को कट ऑफ मार्क से ज्यादा अंक मिलते हैं तो उसे इंटरव्यू में शामिल किया जाए। वे इसमें भी सफल होती है तो उनकी पोस्टिंग बतौर आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर के रूप में की जाए।