नेहरू-गांधी परिवार में प्रेम कहानियां तो कई हैं। इंदिरा-फिरोज, सोनिया-राजीव, मेनका-संजय और फिर प्रियंका-राबर्ट लेकिन इंदिरा-फिरोज का प्यार इन सबसे बढ़ कर था। फिरोज की पर्सनालिटी काफी दमदार थी। प्रभावित तो नेहरू भी थे, लेकिन वे शादी की हद तक नहीं जाना चाहते थे। ऐसे में गांधी आगे आये और फिरोज की शादी इंदिरा से हो पाई।
फिरोज के लिए इंदिरा ने छोड़ दिया था सब-कुछ
फिरोज कांग्रेस के सैनिक के रूप में युवाओं का नेतृत्व करते थे। इसी दौरान उनकी और इंदिरा गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ीं। फिरोज जब इलाहाबाद में रहने लगे, तब भी वे अक्सर आनंद भवन जाया करते थे। कुछ समय बाद जब फिरोज और इंदिरा के प्रेम-प्रसंग की जानकारी कमला नेहरू को हुई तो वे बहुत गुस्सा हुईं। दोनों के अलग-अलग धर्मो के होने की वजह से भारतीय राजनीति में खलबली मचने का डर जवाहरलाल नेहरू को भी सताने लगा था। इसलिए उन्होंने यह बात महात्मा गांधी से बताई और सलाह मांगी। महात्मा गांधी ने फिरोज को ‘गांधी’ सरनेम की उपाधि दे दी और इस तरह फिरोज खान, फिरोज गांधी बन गए और इंदिरा नेहरू अब ‘इंदिरा गांधी’ बन गईं। फिरोज और इंदिरा की शादी 1942 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई।