भोपाल। सरकारी महिला कर्मचारियों को चाइल्ड केयर लीव का फायदा लेने के लिए बच्चों की संख्या और उनकी उम्र का सबूत देना जरूरी हो गया है। छुट्टी की शर्तें कई अफसरों को स्पष्ट न होने से शासन को अलग से इसका आदेश जारी समझाना पड़ रहा है।
महिलाओं को 18 साल से कम उम्र तक के बच्चों की देखभाल के लिए अधिकतम 730 दिन का अवकाश देने की सुविधा पिछले साल अगस्त में शुरू की गई थी। इसकी शर्तों के बारे में प्रदेश भर से अफसरों ने कुछ सवाल किए थे। बतौर स्पष्टीकरण वित्त विभाग ने नवंबर में जिले के आला अफसरों को एक पत्र भेजा था। इसमें कहा गया कि अवकाश के आवेदन के समय अलग से किसी प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं होगी। आवेदन में बताया गया कारण ही पर्याप्त होगा।
स्पष्टीकरण ही बन गया गफलत का कारण
बताया जाता है कि स्पष्टीकरण के बाद कुछ अफसरों ने बगैर प्रमाण छुट्टी के आवेदन मंजूर करना शुरू कर दिया। यह तथ्य वित्त विभाग की जानकारी में आया। इसके मद्देनजर विभाग के सचिव अनिरुद्ध मुखर्जी को फिर स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा। सभी संभागाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष और कलेक्टर को भेजे पत्र में उन्होंने कहा है कि अलग से किसी प्रमाण-पत्र की जरूरत न होने का मतलब, बच्चों के स्वास्थ्य, अध्ययन जैसे तथ्यों के बारे में है। चाइल्ड केयर लीव की पात्रता के लिए बच्चों की संख्या और आयु का प्रमाण देना ही होगा।
18 साल में छह महीने बाकी, फिर भी 730 दिन की छुट्टी
कुछ अफसरों को यह भी गलतफहमी है कि 18 साल के पहले आवेदन देने पर महिला को 730 दिन के अवकाश की पात्रता होगी। पत्र में उदाहरण देकर समझाया गया है कि संतान की उम्र साढ़े 17 साल होने पर महिला को अधिकतम छह महीने की छुट्टी की पात्रता होगी।
1500-2000 छुट्टी पर, 1000 आवेदन
ऐसा बताया जा रहा है कि जिले में स्कूल शिक्षा समेत अन्य विभागों में 1500-2000 महिला अधिकारी-कर्मचारी चाइल्ड केयर लीव पर हैं। जबकि करीब एक हजार महिलाओं ने विभागाध्यक्षों को आवेदन दिए हैं।