विकास: कम होती सब्सिडी और बढते प्रोत्साहन

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान २९  राष्ट्रीयकृत बैंकों ने १.१४ लाख करोड़ रुपये के कर्ज को न वसूल हो सकने वाले डूबत खाते में डाल दिये ।इनमें से ७.३२ लाख करोड़ रुपये का ऋण आश्चर्यजनक रूप से सिर्फ दस कंपनियों को दिए गए था। ये रिपोर्टें ऐसे वक्त में आ रही हैं, जब आर्थिक मंदी को देखते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्तीय सख्ती बरतने की बात कर रहे हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती की है। 

सरकार लगातार कह रही है कि देश को विकसित बनाना है, तो ऐसी सब्सिडी खत्म करनी होगी। जब गरीबों को वित्तीय मदद दी जाती है, तो इसे सब्सिडी कहा जाता है, पर जब अमीरों को बड़े पैमाने पर खैरात, कौड़ियों के मोल जमीन, प्राकृतिक संपदा और करों में छूट जैसी सौगातें दी जाती हैं, तो इन्हें 'विकास के लिए दिया जाने वाला प्रोत्साहन' कहा जाता है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक सवाल पूछा है कि अमीरों को दिया जाने वाला प्रोत्साहन सब्सिडी से अलग कैसे है। वस्तुतः २००४-५ से अब तक करीब ४२  लाख करोड़ रुपये टैक्स छूट के तौर पर (जिन्हें बजट दस्तावेज में रेवेन्यू फॉरगोन के तौर पर दर्ज किया गया) कॉरपोरेट्स को दिए गए हैं। फिर देश की ६७ प्रतिशत आबादी को भोजन मुहैया कराने वाले खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम पर १.२५ लाख करोड़ की सब्सिडी को अर्थशास्त्री अपव्यय कैसे मानते हैं? 

एक प्रमुख अर्थशास्त्री ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से कहा, फॉरगोन रेवेन्यू कैटेगरी को ही बजट दस्तावेजों से हटा देना चाहिए, ताकि बड़े पैमाने पर दी जा रही रियायतों को जनता की नजरों से छिपाकर रखा जा सके। एलपीजी सब्सिडी को भी अपव्यय माना जा रहा है। यह सही है कि इसका काफी हिस्सा संपन्न लोगों के खाते में जा रहा है, जिसे खत्म कर देना चाहिए। एक अर्थशास्त्री ने लिखा था कि एलपीजी सिलेंडरों पर दी जाने सब्सिडी पर हर साल ४८ हजार करोड़ खर्च होते हैं, जो भारत में एक साल के लिए गरीबी उन्मूलन हेतु पर्याप्त धनराशि है। वह इस पूरी सब्सिडी को ही खत्म करना चाहते थे। जब एक साल की सब्सिडी के पैसे से साल भर गरीबी मिटाने की मुहिम चलाई जा सकती है, तो ४२  लाख करोड़ की टैक्स रियायतों के रूप में दी जाने वाली सब्सिडी से तो अनेक वर्षो  की गरीबी मिटाई जा सकती है।
  • श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।   
  • संपर्क  9425022703   
  • rakeshdubeyrsa@gmail.com

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