भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक रहा है। लेकिन उसे यह पता ही नहीं है कि प्रदेश के कितने हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में पुस्तकालय हैं। अगर पुस्तकालय हैं तो उनमें कितनी किताबें हैं और वहां ग्रंथपाल हैं या नहीं।
वर्षों बाद जागे लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने अब हर जिले से हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों की लाइब्रेरी का रिकॉर्ड मांगा है, ताकि पुस्तकालयों का इस्तेमाल छात्र हित में हो सके। सरकारी स्कूल में पुस्तकालय का प्रावधान है, पर प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में यह सुविधा नहीं है। कहीं पुस्तकालय के नाम पर गिनती की पुस्तकें हैं तो कहीं एक अलमारी का पुस्तकालय है। डीपीआई ने माना है, पुस्तकालयों का समुचित उपयोग नहीं होने से पठन-पाठन क्षमता प्रभावित हुई है। इसी के चलते उसने सभी जिलों से स्कूलों के पुस्तकालयों की जानकारी मांगी है, ताकि विषयवार पाठ्यक्रम और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पठन-पाठन की दक्षता में बढ़ोतरी हो सके।