भोपाल। राजधानी समेत प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे छात्र अब एक विश्वविद्यालय से आधी पढ़ाई पूरी करने के बाद दूसरे निजी विश्वविद्यालय में प्रवेश ले सकेंगे। अभी निजी विश्वविद्यालयों के अध्यादेश व परिनियम अलग-अलग होने से छात्र को एक ही विश्वविद्यालय में डिग्री पूरी करना मजबूरी है। इस समस्या को दूर करने के लिए आयोग ने सभी निजी विश्वविद्यालयों के अध्यादेश एक समान करने की तैयारी शुरू कर दी है। मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग अपने एक्ट में बदलाव की तैयारी कर रहा है। इसका प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को सौंपा जाएगा।
पिछले साल निजी कॉलेजों के फेल छात्रों को निजी विश्वविद्यालयों में एडमिशन दिए जाने की शिकायत सामने आई थी। हालांकि आयोग द्वारा की गई जांच में निजी कॉलेजों के आरोप गलत साबित हुए थे। आयोग के चेयरमैन प्रो. अखिलेश पांडे के अनुसार प्रदेश की पारंपरिक यूनिवर्सिटीज मप्र विवि अधिनियम 1973 के तहत संचालित हैं। इन सबके अध्यादेश व परिनियम समान होने से छात्रों को एक विवि से दूसरे में ट्रांसफर लेने में दिक्कतें नहीं आती है।
इन विश्वविद्यालयों में संचालित बीई, मेडिकल, डेंटल सहित अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस के अध्यादेश व परिनियम अलग-अलग होने से छात्रों को एक विवि से दूसरे में ट्रांसफर लेने में परेशानी आ रही है। निजी विश्वविद्यालयों के एक्ट को मप्र विवि अधिनियम 1973 के तर्ज पर बनाने के लिए जो कमेटी गठित की जाएगी उसमें आयोग के सदस्य के साथ ही प्रत्येक निजी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को भी कोर्सवार शामिल किया जाएगा।
बीते नौ साल में अधिनियम में हो चुके हैं नौ संशोधन
भोपाल के पांच समेत प्रदेश में इस समय 18 निजी विश्वविद्यालय स्थापित हो चुके हैं। 7 के आशय पत्र जारी हो चुके हैं और तीन के प्रस्ताव लंबित हैं। यह सभी निजी विवि मप्र निजी विवि (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2007 के तहत संचालित हैं। बीते नौ सालों के दौरान इस अधिनियम में नौ संशोधन हो चुके हैं।