नई दिल्ली। 16 साल की नाबालिग से रेप के आरोप में आशाराम बापू जेल में बंद हैं। आशाराम ने जेल से रिहा होने और खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। इस मामले के शुरूआती दौर में जाने-माने वकील राम जेठमलानी को आशाराम ने वकील के रूप में नियुक्त किया था लेकिन अब राम जेठमलानी का दावा है कि एक पेशी के बाद उन्होंने आशाराम के वकील होने से हाथ पीछे खींच लिए क्योंकि जब वह जोधपुर आशाराम से मिलने गए तो उन्होंने पहले ही इस केस को लड़ने के लिए 20 वकीलों की टीम रखी थी।
न्यूज़ पोर्टल ''दैनिक भास्कर'' की खबर के अनुसार जेठमलानी ने यह भी कहा कि आशाराम की तरफ से उन्हें यह कहा गया कि उन्हें कोर्ट में कुछ नही करना है क्योंकि इस मामले के जजों से पहले ही बात हो गई है।
गौरतलब है कि आशाराम को 15 अगस्त 2013 को एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। लम्बी खोजबीन के बाद आशाराम को 31 अगस्त 2013 को गिरफ्तार किया गया। आशाराम के मामले में सबसे अहम् बात यह भी है कि इस मामले के कई गवाहों की समय-समय पर मौत हो गई थी। जिसको लेकर सवाल रहे हैं। जजों को लेकर जेठमलानी का यह बयान न्यायपालिका पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।