चंडीगढ़। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अपनी इच्छा से बच्चों को गिफ्ट में दी गई जायदाद पेरेंट्स वापस नहीं ले सकते। जस्टिस के. कण्णन ने मेनटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत गठित ट्रिब्यूनल के फैसले को खारिज कर दिया। ट्रिब्यूनल ने मां के पक्ष में फैसला देते हुए कहा था कि उन्होंने यह सोचकर बेटी के नाम संपत्ति दी थी कि वह उनकी देखभाल करेगी। लेकिन अब उसका व्यवहार बदल गया है।
इसी कारण मां ने संपत्ति में हिस्सेदारी को अवैध ठहराने की मांग की। ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ बेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। कहा- मां ने बिना दबाव उसे हिस्सा दिया था। इसे वापस मांगना अनुचित है। ट्रिब्यूनल का फैसला खारिज किया जाए। चंडीगढ़ की सेक्टर 35 स्थित कोठी का 25 % हिस्सा मां ने 2013 में बेटी के नाम कर दिया। बाद में उन्हें लगा कि बेटी का व्यवहार उनके प्रति बदल गया है तो जायदाद में हिस्सेदारी को वापस लेने के लिए ट्रिब्यूनल में दस्तक दी। ट्रिब्यूनल ने मां के हक में फैसला दिया तो बेटी ने हाईकोर्ट में अपील कर दी।