राकेश दुबे@प्रतिदिन। हरियाणा के सोनीपत में मुरथल के पास हुई सामूहिक बलात्कार की घटना से राज्य की पुलिस ने इनकार किया है, पर हाईकोर्ट ने इन खबरों का संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। सवाल है कि इस बीच सरकार कहां थी? वह हालात को नियंत्रित क्यों नहीं कर सकी? वैसे भी जाट आन्दोलन के दौरान पुलिस के मूकदर्शक बने रहने की शिकायत की है|यह पुलिस के अपने संवैधानिक कर्तव्य से मुंह मोड़ लेने का यह अकेला उदाहरण नहीं है। ज्यादा पीछे न जाएं, तो पिछले दिनों दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में भी पुलिस का यही रवैया था।
किसी भी सरकार का पहला दायित्व नागरिकों के जान-माल की रक्षा करना होता है। हरियाणा सरकार इस बुनियादी कसौटी पर ही नाकाम साबित हुई है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के प्रति भी पार्टी में नाराजगी के स्वर उठे हैं। इस हिंसक आंदोलन से निपटने के तौर-तरीके को तथा जाट आरक्षण की मांग के आगे झुक जाने को भाजपा के भीतर भी बहुत-से लोग सही नहीं मानते। उन्हें लगता है कि अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने सख्ती नहीं बरती। इसका नतीजा यह हुआ कि आंदोलन एकदम बेकाबू हो गया। फिर कर्फ्यू लगाने, उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश देने और सेना बुलाने की नौबत आ गई तथा भीड़ की तरफ से भी ज्यादा हिंसा हुई।
राज्य मंत्रिमंडल जाट आरक्षण के मसले पर बंटा नजर आता है। कुरुक्षेत्र से भाजपा के सांसद राजकुमार सैनी ने तो जाट आरक्षण के लिए समिति गठित करने तथा राज्य विधानसभा में विधेयक लाने के फैसले के खिलाफ खुल कर आवाज उठाई है। पार्टी के गैर-जाट विधायक भी क्षुब्ध हैं। हरियाणा भाजपा के कई राजनीतिकों ने यह सवाल भी उठाया है कि जिन लोगों की संपत्तियां आगे के हवाले कर दी गर्इं उनके लिए कोई मुआवजा क्यों नहीं घोषित किया गया? बहरहाल, जाट और गैर-जाट के ध्रुवीकरण में प्रस्तावित विधेयक कैसे पारित होगा तथा समिति क्या करेगी? कभी हरित क्रांति का अगुआ और दूसरे राज्यों के लिए विकास का नमूना रहा राज्य आज कहां खड़ा है? हिंसा की घटनाओं ने जहां राज्य को एक भयानक ध्रुवीकरण में फंसा कर सामाजिक सौहार्द के ताने-बाने को कमजोर किया है, वहीं आर्थिक मोर्चे पर राज्य को इतना भारी नुकसान उठाना पड़ा है कि उसकी भरपाई में बरसों लगेंगे।
- श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
- संपर्क 9425022703
- rakeshdubeyrsa@gmail.com