दुनिया के दो प्रमुख अखबारों ने मोदी सरकार को तनाशाही प्रवृत्ति का बताते हुए तीखी आलोचना की है. अखबार में बीते दिनों नई दिल्ली के पास दिखी ‘पीट..पीट कर मार डालने को आतुर मानसिकता वाली भीड़’ के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
न्यूयार्क टाइम्स ने दिया आर्थिक तरक्की का हवाला
न्यूयार्क टाइम्स (एनवाईटी) ने अपने एक ओपएड में कहा है, ‘‘भारत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकार लोगों के बीच हिंसक झड़प की वेदना झेल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदू अधिकार पर इसके राजनीतिक सहयोगी इसे खामोश करने के लिए आतुर हैं.’’ इसने कहा है कि टकराव ने मोदी के शासन के बारे में गंभीर चिंताएं उठाई हैं. यह आर्थिक सुधारों पर संसद में किसी प्रगति की राह में और भी रोड़े अटका सकती है.
कन्हैया की गिरफ्तारी की चर्चा
अखबार ने एक अलग आलेख में देशद्रोह के आरोप में जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में हुई घटनाओं का जिक्र किया है. साथ ही यह कहा है कि संदेश साफ है...उग्र राष्ट्रवाद के नाम पर हिंसा स्वीकार्य है. ‘‘यहां तक कि अदालतें भी सुरक्षित स्थान नहीं हैं. राज्य या बीजेपी को चुनौती खुद को जोखिम में डाल कर मोल लें.’’
मार्टिना नवरातिलोवा ने किया रीट्वीट
इस आलेख को टेनिस खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा ने रीट्वीट करते हुए अपनी टिप्पणी में कहा है, ‘‘भारत में देशद्रोह के लिए क्या चीजें हैं...उग्र राष्ट्रवाद आसानी से हिंसा, धौंस जमाने में तब्दील हो रहा है.’’
ल मोंड में तिरंगा और भगवा ध्वज की चर्चा
फ्रांस के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ‘ल मोंड’ ने एक संपादकीय में कहा है कि मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारतीय लोकतंत्र के आकाश में बादल छाये हुए हैं. इसने कहा है कि देशद्रोह के आरोप में एक छात्र नेता और एक पूर्व प्रोफेसर की गिरफ्तारी आलोचना को चुप करने के लिए आतुर हिंदू राष्ट्रवादी सरकार की ‘तानाशाह प्रवृत्ति’ का ताजा उदाहरण है. संपादकीय में कहा गया है कि यह देखना विरोधाभासी है कि हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय ध्वज का बचाव कर रहे हैं. उन्होंने अपने भगवा झंडे को इसपर वरीयता देते हुए लंबे समय तक दूरी बनाए रखी.
अखबारों ने पीएम मोदी को दिया सलाह
न्यूयार्क टाइम्स ने कहा है कि ‘पीट..पीट कर मार डालने को आतुर मानसिकता रखने वाली भीड़’ की जिम्मेदारी मूल रूप से मोदी सरकार पर ही है. भारतीय नागरिकों के पास अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रयोग के लिए सरकारी धमकियों के प्रति नाराजगी जताने का अधिकार है. अखबार ने मोदी से अपने मंत्रियों और पार्टी को काबू करने और मौजूदा संकट को खत्म करने का सुझाव दिया है.