कुलदीप सलूजा। मध्यप्रदेश के धार में स्थित भोजशाला वर्षों से हिन्दू मुस्लिम आस्था का केन्द्र रहा है। राजा भोज द्वारा बनवाए गए भोजशाला में मंगलवार को हिन्दू पूजा अर्चना करते हैं तो शुक्रवार के दिन इसमें मुस्लमान नमाज अता करते हैं। यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है लेकिन हर साल बसंत पंचमी के दिन यहां का माहौल तनावपूर्ण हो जाता है लेकिन सवाल उठता है कि इस विवाद के पीछे असल कारण क्या है और क्या यह विवाद सुलझ नहीं सकता?
वास्तुशास्त्र के अनुसार दुनिया के किसी भी कोने में विवाद होते है चाहे वह दो व्यक्तियों के मध्या हो या दो राष्ट्रों के मध्य इन सभी में पूर्व आग्नेय के वास्तुदोष की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पूर्व आग्नेय के वास्तुदोष जैसे-पूर्व आग्नेय अर्थात् दक्षिण पूर्व दिशा के पूर्व दिशा वाले भाग में बढाव, किसी भी प्रकार का गड्ढा या किसी भी प्रकार से पूर्व आग्नेय का नीचा होना।
भोजशाला का मुख्यद्वार पूर्व दिशा में वास्तुनुकूल स्थान पर स्थित है। भोजशाला परिसर के बाहर मुख्य द्वार के पास ही मौला कमाल की दरगाह है इसके अलावा भोजशाला के बाहर पूर्व दिशा में कब्रस्तिान है। भोजशाला एक आयताकार भवन है जो बीच में खुला हुआ है। खुले भाग के मध्य में यज्ञ कुण्ड बना हुआ है। मुख्य स्थान (गर्भगृह) पश्चिम दिशा में है जहां मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज अदा की जाती है।
भोजशाला की यह बनावट तो वास्तुनुकूल है परन्तु भोजशाला परिसर के अन्दर पूर्व आग्नेय में छत पर जाने के लिए सीढि़याँ बनी हुई है। उन सीढि़यों के पीछे एक कमरा बना है कमरे के अन्दर का फर्श बाहर के फर्श की तुलना में बहुत नीचा है। जिसमें वर्तमान में भोजशाला से निकले हुए कुछ पत्थर पड़े हुए है। इसी के साथ परिसर के खुले भाग की दक्षिण दिशा से लेकर पूर्व आग्नेय तक का भाग पत्थर उखड़ने के कारण नीचा भी हो गया है। पूर्व आग्नेय के इन्हीं वास्तुदोष के कारण यहाँ विवाद होते हैं।
इस विवाद को समाप्त करने के लिए शासन को चाहिए कि वह भोजशाला परिसर में पूर्व आग्नेय के इस गड्ढे को मिट्टी भरकर समतल कर दे और दक्षिण दिशा से लेकर पूर्व आग्नेय तक के भाग को बाकी फर्श के बराबर कर दें तो ही भोजशाला का विवाद समाप्त हो सकेगा।
- लेखक द नेब्यूला इन्टरनेशनल स्कूल ऑफ सांईटिफिक वास्तु के डायरेक्ट एवं वास्तु गुरु हैं।