ग्वालियर। भाजपा के पूर्व सांसद व मुरैना के महापौर अशोक अर्गल को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल सकी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने महापौर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी।
ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (जेएमएफसी) ने अशोक अर्गल के खिलाफ अपने चचेरे भाई की शादी में मिले दहेज का सामान नहीं लौटाने पर धारा 406 में केस दर्ज किया था और कोर्ट में उपस्थित नहीं होने पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। हजीरा पुलिस को इस मामले में श्री अर्गल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना था।
अशोक अर्गल ने जेएमएफसी के आदेश को चुनौती दी थी। उन्होंने याचिका में बताया कि रजनी अर्गल का विवाह रवि से हुआ था, जो अशोक अर्गल के परिवार के सदस्य नहीं है। बावजूद इसके अधीनस्थ न्यायालय ने केस दर्ज कर लिया है। इसलिए गिरफ्तारी वारंट को खत्म किया जाए। रजनी के अधिवक्ता एचके शुक्ला ने अशोक अर्गल की याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि रवि, अशोक अर्गल के चाचा रामनाथ अर्गल का बेटा है और उसके विवाह में रजनी के परिजन ने दहेज में 2.50 लाख रुपए नगद व 4.50 लाख का सामान दिया था।
ससुराल में प्रताड़ना के बाद रजनी और रवि अलग-अलग हो गए। इसके बाद जब रजनी के परिजन दहेज का सामान मुरैना लेने पहुंचे तो अशोक अर्गल ने उन्हें घर से भगा दिया और धमकाया भी। अधिवक्ता ने कहा कि अशोक अर्गल दूसरे की संपत्ति पर कब्जा करना चाहते हैं।
जब रजनी का पति व ससुर उसे घर में रखना नहीं चाहते हैं तो दहेज में दिया सामान भी लौटाना था। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अशोक अर्गल की याचिका को खारिज कर दिया। अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को बरकार रखा है।
क्या है मामला
हजीरा निवासी रजनी का विवाह रवि अर्गल से 11 मई 2005 में हुआ था। विवाह के कुछ दिन बाद पति रवि, ससुर रामनाथ, सास अंगूरी देवी, रजनी को प्रताड़ित करने लगे। इसके बाद रजनी ने जिला कोर्ट में परिवाद दायर किया । कोर्ट ने पति, सास, ससुर के खिलाफ केस दर्ज किया। कोर्ट ने 100-100 रुपए का अर्थदंड लगाकर कोर्ट उठने तक की सजा सुनाई। इसके बाद रजनी के परिजन ने दहेज में दिए सामान की मांग की।
अशोक अर्गल ने जब दहेज का सामान नहीं लौटाया तो रजनी ने उनके खिलाफ परिवाद दायर किया। जेएमएफसी रजनी शर्मा ने केस दर्ज कर अशोक अर्गल को 17 अगस्त 2009 को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था और वे कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। जब वे कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो 19 नवंबर 2011 को अशोक अर्गल का गिरफ्तारी वारंट जारी किया और हजीरा पुलिस को उन्हें कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया।
स्थायी वारंट जारी होने के बाद कोर्ट ने समंस रिकॉर्ड रूम भेज दिया, लेकिन अशोक अर्गल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश नहीं कर पाई। वर्ष 2015 में अशोक अर्गल ने अपने ऊपर दर्ज हुए केस को समाप्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे सोमवार को खारिज कर दिया गया।