नई दिल्ली/कोच्चि। केरल में हुए अब तक के सबसे बड़े घोटाले में जिस महिला की भूमिका बताई जा रही है, उसकी स्टोरी किसी फिल्म से कम नहीं है। 36 साल की सरिता नायर की स्टोरी लव, सेक्स और घोटाले की कहानी के कारण राज्य सरकार विवादों में है।
सरिता की मां ने उसकी शादी दुबई में बसे राजेंद्रन से शादी कर दी। शादी के वक्त उसकी उम्र सिर्फ 18 साल थी। शादी के बाद राजेंद्रन अपनी नौकरी करने के लिए गल्फ चला गया। लेकिन ये शादी बहुत दिनों तक टिकी नहीं। राजेंद्रन ने यह कहते हुए उसे तलाक दे दिया कि उसके दूसरे मर्दों से संबंध हैं।
तलाक के समय तक उनका एक बच्चा हो चुका था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि सरिता की पहली संतान तिरूवअनंतपुरम के एक स्कूल से पढ़ाई कर रही है। वह सरिता का पुत्र है इस बात का पता केवल स्कूल प्रबंधन को ही है।
सरिता की स्टोरी की शुरुआत केरल के चेनगन्नूर जिले के छोटे से देहात में हुई। सरिता नायर सेंट अॅन्स स्कूल की स्टूडेंट थी। अंग्रेजी और गणित में हमेशा टॉप करने वाली सरिता ने दसवीं की परीक्षा में डिस्टिंक्शन के साथ 94 प्रतिशत मार्क्स हासिल किए। लेकिन सरिता के पिता सोमशेखरन नायर ने अपनी जिम्मेदारियों और लोन से बचने के लिए सुसाइड कर ली।
सरिता और उसकी छोटी बहन की जिम्मेदारी को निभाने के लिए मां इंदिरा ने नौकरी कर ली। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, "उसे पढ़ाई-लिखाई में हासिल किए अपने नंबरों पर आज तक फख्र है।' इस दौरान उसने इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्यूनिकेशन, एयरक्राफ्ट मैन्टेनेंस तथा इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल कर लिए। सरिता ने खुद भी दावा किया है कि उसे एक समय में एक हवाई जहाज कंपनी से नौकरी का बुलावा भी था।
तलाक के बाद सरिता ने हार नहीं मानी और अपने बेटे को मां के पास छोड़ उसने अपने करियर की नई शुरुआत की। उसने कोझेनचेरी में एक प्रायवेट लेन-देन वाली कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी कर ली। स्थानीय शराब के दलाल से दोस्ती की। वह अपने दोस्त की मदद से कंपनी के लिए लाखों रुपए लाती गई। जिससे सरिता ने जल्द ही कंपनी के मालिकों का विश्वास जीत लिया लेकिन उसने एक गलती की और इन पैसों में से काफी पैसा अपने दलाल दोस्त को दिया जिसे लेकर वो फरार हो गया और फंस गई सरिता। और उसे जेल जाना पडा।
जेल से निकलने के बाद कुछ सालों तक अंडरग्राउंड रहने के बाद सरिता ने फिर से जाल फैलाना शुरू कर दिया। इस बार उसने अपने लिव-इन पार्टनर बीजू राधाकृष्णन के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। चेंगन्नूर में अपना नाम बदलकर वो दोनों अपना काम ऑनलाइन करते थे। 2010 में वे पकड़े गए। उस समय सरिता के पेट में बीजू की बेटी थी जिसे उसने जेल में ही जन्म दिया।
जेल जाने के बाद सरिता समझ गई कि उसे पॉलिटिकल कनेक्शन की जरूरत है। खूबसूरत तो वो थी ही। अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम तीनों भाषा अच्छे से बोल लेती थी। सरिता अब नंदिनी नायर बन गई और खुद को चार्टर्ड एकाउंटेंट बताने लगी। बीजू कभी खुद को स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टर बताता था और कभी-कभी वह खुद को एक आईएएस अफसर बताता था।
सरिता और बीजू बड़े नामों का इस्तेमाल करने में माहिर थे। अगर सरिता किसी से किसी योजना के बारे में बात करती थी और वह इन्ट्रेस्ट दिखाता था तो अगला फोन बीजू की तरफ से किया जाता था, जो ऐसा बताता था कि वह लंदन से बोल रहा है। ये दोनों कोई न कोई कार्यक्रम आयोजित कर राजनेताओं को उनमें आमंत्रित किया करते, उनके साथ फोटो खिंचवाते और अपनी पहचान का दायरा बढ़ाया करते थे।
2011 में 'टीम सोलर' बनाई। इन्होंने अपने नाम बदलकर लक्ष्मी नायर और डॉ आरबी नायर रख लिए, हालांकि कंपनी इनके ओरिजिनल नामों पर ही रजिस्टर्ड थी। सरिता और बीजू ने सोलर पैनल बिजनेस पर एक रिपोर्ट भी तैयार की और पहले केरल के सीएम ओमन चांडी को दिखाया। जिसे देखने के बाद ओमन ने कहा 'उन्हें इस प्रोजेक्ट में इन्ट्रेस्ट है और विद्युत मंत्री आर्यदन मोहम्मद को फोन लगाकर कहा मैं 'लक्ष्मी' को भेज रहा हूं। सरिता ने पहली बार जेल जाने के बाद से क्लाइंट्स से खुद का परिचय 'लक्ष्मी नायर' नाम से कराया और बीजू खुद को 'आरबी नायर' पूर्व रिजर्व बैंक अधिकारी के तौर पेश करता था।'
आधिकारिक बयानों से पता चलता है कि सरिता और बीजू ने पहले सीएम ओमन चांडी के प्राइवेट स्टाफ से कॉन्टैक्ट किया और टीम सोलर की ओर से एक राहत कोष में दान करने के बारे में बात की। कॉल रिकॉर्ड बताते हैं कि इसके बाद भी उन्होंने स्टाफ से संपर्क बनाए रखा। उसने तब तक राज्य के कई मंत्रियों सहित बहुत-से राजनेताओं तक पहुंच बना ली थी। मंत्री आर्यदन की भी इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी थी जिसकी वजह से उन्होंने सरिता को हर संभव मदद देने की पेशकश की। सरिता के मुताबिक उसने थॉमस कुरूविला के माध्यम से दो किस्तों (पहली बार दिल्ली और दूसरी बार केरल में) में 1.9 करोड़ रुपए दिलाए और आर्यदन को 40 लाख रुपए दिलवाए। पैसा उनके हाथों तक सही सलामत पहुंच गया है, इसकी पुष्टि चांडी ओमन ने फोन पर की थी।
छह महीने पहले एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में सरिता ने कहा था कि उसकी सुंदरता उसके लिए वरदान और अभिशाप दोनों साबित हुई। यह उसकी सुंदरता ही थी, जिसकी वजह से कई नेता उसके करीबी थे। सरिता ने जस्टिस शिवाराजन कमीशन के सामने बयान भी दिया था कि कई करोड़ों के घोटाले वाले इस (सोलर घोटाला) मामले की जांच करना बिलकुल सही है।
सरिता ने बताया था कि ज्यादातर राजनेता, मंत्री से लेकर सांसद और विधायक और उनके पर्सनल असिस्टेंट व कर्मचारी भी केवल फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए उसकी हेल्प करते थे। सरिता ने उन लोगों के नाम भी उजागर किए जिन्होंने उसके साथ जेल में शारीरिक शोषण किया था।
जेल में सरिता ने एक लेटर लिखा, जिसमें कई वीआईपी लोगों के नाम दर्ज हैं। मुख्यमंत्री के पर्सनल सेक्रेटरी जोपन, गनमैन सलीम राज और पर्सनल असिस्टेंट जीकू मोहन सभी लगातार सरिता के कॉन्टैक्ट में रहे थे।
जेल के पूर्व अधिकारी एलेक्जेंडर जैकब ने जांचकर्ताओं को बताया है कि उनके पास सरिता से जेल में मिलने के लिए कई राजनेताओं समेत बहुत-से हाई-प्रोफाइल लोगों के अनुरोध आए थे।
मुख्यमंत्री ओमन चांडी खुद अपना और अपनी सरकार, दोनों का बचाव करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। दो महीने पहले भी उन्होंने मामले को संभाल लिया था, लेकिन विपक्ष की ओर से लगातार हमले जारी हैं।