राकेश दुबे@प्रतिदिन। जेएनयू का मामला हो या पंपोर में हुआ आतंकवादी हमला वे चेहरे उजागर होने लगे है जो इनके पीछे हैं। गिलानी ने काश्मीर बंद का आव्हान किया है तो लश्कर-ए-तैयबा की पीठ थपथपा कर प्रतिबंधित पाकिस्तानी जेहादी संगठन जमात-उद-दावा ने अपना असली चेहरा उजागर कर दिया है। काश्मीर तो बहाना है, सच तो ये हा की देश के भीतर कुछ ताकतें विदेशी हाथों में में खेल रही है और पूरे देश में अस्थिरता फैलाना चाहती हैं।
जमात-उद-दावा पंद्रह साल में पहली बार लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन में इस तरह खुल कर सामने आया है। इस हमले में आतंकियों के साथ अड़तालीस घंटे चली मुठभेड़ के बाद हालांकि तीनों हमलावर मारे गए लेकिन सेना के दो कैप्टनों सहित पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए और एक आम नागरिक को भी जान गंवानी पड़ी। ऐसी निंदनीय वारदात के लिए जमात-उद-दावा के सोशल मीडिया प्रकोष्ठ के मुखिया ने ट्वीट करके लश्कर-ए-तैयबा को न केवल बधाई दी बल्कि भारतीय सेना पर कई और हमले करने की चेतावनी भी दी है। इसी तरह भारत सरकार से पासपोर्ट के लिए चिरौरी करने वाला गिलानी देशद्रोहियों की आवाज़ को बुलंद करने के लिए काश्मीर बंद का आव्हान कर रहा है।
कश्मीर को बंदूक के बूते कब्जाने का यह जेहादी जुनून पाक-पोषित जमात-उद-दावा और उसके जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन आदि सहोदरों से संजीवनी पाता रहा है। यह विडंबना नहीं तो क्या है कि पाकिस्तान एक ओर भारत के साथ अमनबहाली और संबंध सुधारने के नेक इरादों का ढोल पीटता है मगर दूसरी ओर अपने यहां भारत-विरोधी आतंकी संगठनों के फलने-फूलने देता है। 26/11 के हमले के बाद जमात-उद-दावा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाबंदी लगा रखी है, लेकिन इस पाबंदी को ठेंगा दिखाते हुए उसका मुखिया हाफिज मोहम्मद सईद न केवल पाकिस्तान में खुला घूमता है, बल्कि कश्मीर की आजादी और जेहाद के नाम पर कार्यक्रम आयोजित कर चंदा उगाही करता रहता है। भारत गिलानी भी यही कर रहा है | भारत सरकार को चाहिए कि इन मामलो में जो चेहरे उजगर हुए हैं, उन पर कठोर कार्रवाई देश के भीतर और बाहर पुरजोर तरीके से करे।
- श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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