जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कटनी बड़वारा के भाजपा विधायक मोती कश्यप के खिलाफ चुनाव याचिका खारिज कर दी। यह कदम याचिकाकर्ता द्वारा बार-बार समय दिए जाने के बावजूद गवाही के लिए हाजिर न होने के रवैये को आड़े हाथों लेकर उठाया गया।
सोमवार को न्यायमूर्ति सीवी सिरपुरकर की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने को अवगत कराया गया कि याचिकाकर्ता ने निर्वाचन को तो कठघरे में रख दिया, लेकिन वह तीन बार से समय दिए जाने के बाद भी उपस्थिति होकर अपने बयान दर्ज कराने की जिम्मेदारी पूरी नहीं कर रहा है। इससे साफ है कि उसके पास कोई ठोस दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। उसने महज सस्ती लोकप्रियता अर्जित करने के लिए चुनाव याचिका दायर करने का काम किया था। हाईकोर्ट ने तर्कों को सुनने के बाद तकनीकी आधार पर गैरहाजिरी के बिन्दु पर याचिका खारिज कर दी। हालांकि आवेदन दायर पर याचिका को पुनर्जीवित करने का विकल्प नियमानुसार मौजूद है।
क्या था मुद्दा
कटनी बड़बारा निवासी विजय राघवेन्द्र सिंह ने दायर चुनाव याचिका में भाजपा विधायक मोती कश्यप पर फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने का आरोप लगाया था। उसका कहना था कि मोती कश्यप मूलतः ढ़ीमर जाति के हैं, जो कि अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आती है। इसके बावजूद उन्होंने माझी यानी अनुसूचित जनजाति का फर्जी तरीके से हासिल जाति प्रमाण-पत्र लगाकर किसी अन्य एसटी उम्मीदवार का हक मार लिया। लिहाजा, निर्वाचन रद्द करके नए सिरे से चुनाव कराए जाने चाहिए।