मुश्ताक खान। 25% का धीमा जहर 25% छात्रों का निजी स्कूलों में दाखिला जो सरकार हमें पिछले 3 साल से मीठी गोली के साथ खिला रही है और वो भी स्वयं हमारे कर कमलो से अब उस जहर का असर दिखाई देने लगा है। आज एक खबर पर नजर पड़ी और ज्ञात हुआ की माह सितम्बर से ऐसे सरकारी स्कूलों को ताला लगा दिया जाएगा जिनकी छात्र संख्या 20 से कम होगी। और स्टाफ और छात्रों को मर्ज किया जाएगा।
दोस्तों वर्तमान में कुछ संघ निजीकरण का विरोध कर रहे है जो की उचित भी है परन्तु आज तक किसी संघ ने ये प्रति वर्ष की जाने वाली 25% बच्चो का निजी शालाओ में दाखिले का विरोध क्यों नही किया??
यदि आगामी 5 साल यही प्रकिर्या यथावत जारी रही तो सरकार को निजीकरण के आदेश करने की भी आवश्कता नही होगी और सारे बच्चे हमारे कर कमलो से आदेश के पालन में निजी स्कूलों के छात्र/छात्रा हो जायेंगे।
वर्तमान में सरकार और विभाग पूर्ण सक्षम है समयानुसार भर्ती भी की जा रही है डिग्री होल्डर टीचर्स भी भर्ती हो रहे है एवं पिछले 14 वर्षो में सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता भी बड़ी है अब ऐसी परिस्थिति में 25% छात्रों को निजी विद्यालय में सशुल्क भर्ती करवाने की युक्ति ऐसे किस प्रशासनिक अधिकारी ने सुझाई जो सीधे सीधे सरकारी खर्च पर निजी स्कूलों के भविष्य को उज्जवल और सरकारी स्कूलों के भविष्य को अन्धकार में ले जाने वाली है।
दोस्तों पिछले 3-4 वर्षो में इसी 25% मीठे जहर के कारण आज हमारी छात्र संख्या 100 से 60 पर और 60 से 15 पर आ चुकी है और यही प्रशासनिक प्लानिंग निजीकरण की शुरुवात वो भी धीमी गति से पिछले 3 वर्ष पूर्व कर चुकी है आज खबर आ चुकी है की 20 से कम छात्र संख्या वाले स्कूल मर्ज होंगे अब मर्ज उसी शाला में होंगे जो समीप हो यानी की चार स्कूलों को मिलाकर एक कर दिया जाएगा परन्तु जब ये चार स्कूल और उनके 100 बच्चे अध्धयन पश्चात स्कूल छोड़ेंगे तो हमारी शाला को नवीन बच्चे कहाँ से प्राप्त होंगे??
क्युकी प्रतेक ग्राम के नवीन प्रवेशी बच्चो को तो हने स्वयं ही निजी स्कूलों में दर्ज कर दिया और वो सभी अंतिम कक्षा तक के लिए निजी विधार्थी बन चुके है और हमारे सर्वे अनुसार प्रतिवर्ष नर्सरी के बच्चो का प्रतिशत भी 10 या 20 प्रतिशत ही होता है और 25% की व्यवस्था प्रतिवर्ष की जा रही है। अब ऐसे में केसे सरकारी स्कूलों का अस्तित्व शेष रह सकता है??
सभी बुद्धिजीवी साथियो सभी संघो के प्रतिनिधियों को ये धीमा जहर दिखाई क्यों नही दे रहा और प्रदेश में ऐसी व्यवस्था का विरोध क्यों नही किया जा रहा जो हमारे पेरो की जमीन को खोखला कर रही है क्युकी आज तक शासन ने उक्त भर्ती हमारी ड्यूटी लगाकर करवाई और आज हमारी शाला में छात्रों की संख्या नगण्य हो चुकी है ऐसी स्थिति में आपके पास शाला मर्ज करने के सरकारी आदेस के प्रतिउत्तर स्वरुप क्या जबाब होगा??
प्रशासनिक अमले ने अपनी कु-बुद्धि की चाल चल हमारा क़त्ल हमारे हाथ से ही करवाने का इंतजाम कर लिया है और जिन लोगो ने निजी स्कूलों को पोषित करने की प्लानिग की है वो सीधे सीधे अपनी चाल चल चुके है।
दोस्तों हम सभी को मिलकर इस धीमे जहर के डोज को पूर्ण रूप से बंद करवाने हेतु प्रयास करने चाहिए नही तो आगामी कुछ वर्षो बाद सरकारी स्कूलों का कोई वजूद ही न बाकी रहे और हम सभी शिक्षको की हालत भी राज्य परिवहन के कर्मचारियों के भाँती न हो इसपर सभी को चिन्तन,मनन,प्रयास और विचार कर लेना चाहिए।
एक आम अध्यापक
मुश्ताक खान
भोपाल।
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