डंडे और हथियार लिए कुछ युवक हम पर टूट पड़े। मारपीट की, गाड़ी तोड़ दी और उसके बाद जय जाट बोलने को कहा। हाइवे पर चले इस दहशत भरे माहौल की कहानी मूलरूप से हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले के गांव कयोनी थाना संतोषगढ़ निवास सतीश ने बयां की।
वह शुक्रवार को परिवार सहित दिल्ली से पुलिस को बयान दर्ज कराने के लिए सोनीपत पहुंचा था। सतीश ने बताया कि उन युवकों ने पहले तो मेरे भतीजे हरजिंद्र सिंह के सिर में मारा फिर कहा, बोलो जय जाट, हम सभी ने बोला...जय जाट। इसके बाद मेरे दूसरे भतीजे नीरज को गर्दन से पकड़कर बाहर निकाला और जाति विशेष का नारा लगवाया। इसके बाद वे आगे बढ़ गए...।
यह किसी फिल्म का दृश्य नहीं, बल्कि जाट आरक्षण आंदोलन की आड़ में उपद्रवियों की भीड़ की ओर किया गाय वो तांडव है, जिसकी याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
सतीश ने बताया कि मैं फिलहाल दिल्ली के अशोक नगर में परिवार सहित रहता हूं और उस दिन परिवार सहित माता नैना देवी के मंदिर में मत्था टेकने गया था। पत्नी बबीता ने बताया कि हाइवे पर जाम लगा है, लेकिन पता चला कि खुल गया है तो हम दिल्ली को रवाना हो गए लेकिन जब यहां पहुंचे तो जाम में फंस गए।
उपद्रवियों ने पथराव कर दिया, लेकिन आर्मी ने उन्हें खदेड़ दिया। वहां से हम निकल गए, हालांकि एक ईंट लगी, हमारी गाड़ी का शीशा टूट गया। पता नहीं, कहां से काफी लोग निकल आए और उन्होंने हमारे पर अटैक किया, राड व डंडों से। मेरे परिवार के लोगों व भतीजे को चोट आई। गाली-गलौच बहुत बोला है उन्होंने।
इसके बाद वे वहां से चले गए। भय के मारे हम भागकर खेतों में छिप गए, वहां हमारी मास्टर ओमसिंह ने काफी मदद की। हम उनके घर में सुबह तक रहे। सर, मेरे साथ कोई छेड़छाड़ या और कुछ गलत काम नहीं हुआ। न मेरा पैसा लूटा और न ही जेवर लूटा।