राकेश दुबे@प्रतिदिन। यह बात अत्याधिक गंभीर है कि न्यायालय में वकील मारपीट करने लगे हैं |पटियाला हॉउस में मारपीट करने वालों में सबसे ज्यादा वकील शामिल रहे। वकील न्यायालय परिसर में इस तरह से अराजक और हिंसक हो सकते हैं, यह भारतीय नागरिक और न्यायपालिका के नजरिये से बहुत ही चिंताजनक है। देश की सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद वकील न्यायालय परिसर में मारपीट करें और पुलिस दोषियों पर कोई कार्रवाई न करे, तो यह लोकतंत्र की दृष्टि से बहुत खतरनाक है।जिन पर देश में कानून का राज स्थापित करने की जिम्मेदारी है, अगर वे इस तरह से देश के कानून की ही नहीं, बल्कि सांविधानिक मर्यादाओं की भी खुलेआम तौहीन करेंगे, तो देश के नेतृत्व को सचेत हो जाना चाहिए। इस तरह की अराजकता से आज चाहें जिसे भी राजनीतिक फायदा पहुंच रहा हो, लेकिन दूरगामी नजरिये से इस तरह की अराजकता समूचे राजनीतिक तंत्र और राजनीतिक वर्ग के नियंत्रण से बाहर चली जाएगी और उन्हें भी नुकसान पहुंचाएगी।
देश की राजधानी में इस तरह की अराजकता की तस्वीरें दुनिया भर में भारत की छवि को चोट पहुंचाएंगी और भारत के अंतरराष्ट्रीय हितों के भी खिलाफ जाएंगी। उसके लोकतंत्र और कानून का राज होने के दावों पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करेंगी। विदेशी मीडिया में भी प्रतिकूल टिप्पणियां आ रही हैं। ये सारी प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि हालात को संभालने का वक्त आ गया है।
भारत जैसे विशाल देश को कुछ गुमराह नौजवानों के बेहूदा नारों से कोई नुकसान होगा, यह वही सोच सकता है, जिसे देश की ताकत और उसकी अंदरूनी मजबूती पर भरोसा नहीं है। इस मसले ने देश को अजीब स्थिति में ला दिया है| जहां देशभक्ति के नाम पर गणतंत्र के उन संस्थानों की तौहीन हो रही है, जिनसे यह देश मजबूत बना हुआ है। हमारे देश के संस्थानों में लाख कमियां होंगी और उनमें सुधार की भी बहुत गुंजाइश है, लेकिन इन्हीं संस्थानों ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को सहारा भी दिया हुआ है। सभी जिम्मेदार लोगों को संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए तेजी से निष्पक्ष कार्रवाई करनी चाहिए। यह एक गंभीर विषय है जिसकी परिणिति संवैधानिक संकट भी हो सकती है | इससे बचना होगा |
- श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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