मुश्ताक खान। अभी पिछले दिनों ही शिक्षा विभाग ने गैर शैक्षणिक कार्यो में लगे शिक्षक और अध्यापको को शैक्षणिक कार्यो को करने हेतु मुक्त करने का उनका प्रतिवर्षानुसार जारी होने वाला मात्र खानापूर्ति रूपी पत्र जारी किया। पत्र देखकर कम से कम शिक्षक व अध्यापको को तो कोई भी प्रसन्नता नही हुई क्युकी शिक्षा विभाग एक ऐसा हाथी है जिसके खाने के दांत अलग और दिखाने के दांत अलग है जो सिर्फ इस विभाग के कर्मचारी जानते है की ये विभागीय अधिकारी शिक्षा की गुणवत्ता के प्रति कितने चिंतित है अथवा नहीं।
1.दोस्तों क्या कभी आपने सुना है की पुलिस विभाग के 50 कर्मचारियों को ऐसे स्कूल में अटेच किया गया जहाँ शिक्षक व अध्यापको की कमी है।
परन्तु हमारा विभाग आजकल रात्रि गश्त पर शिक्षको और अध्यापको को लगाकर उनकी राते खराब कर रहा है जबकि उसके घर की सुरक्षा ताक पर रखी है।
3.क्या आपने कभी सूना है की स्वास्थ विभाग का अमला स्कूलों में शिक्षण हेतु अपने कर्मचारियों को अटेच करेगा??
परन्तु शिक्षक और अध्यापक पहले पोलियो, फिर आँखों की जांच,,फिर धीरे धीरे मास्टरी से डॉक्टरी तक कर अब बच्चो को आयरन और कृमिनाशक दवाई खिलाने हेतु संलग्न है।
5.इसी तरह वन विभाग पोधा रोपण कराता है।
6.पंचायत विभाग मध्यान्ह भोजन और दूध बनवाता है।
7.निर्वाचन विभाग परिचय पत्र,मतदान,मतगणना, करवाता है।
8.बैंक में खाते शिक्षक और अध्यापक खुलवाता है।
9.आधार कार्ड का काम भी चल रहा है।
10.आधार कार्ड लिंक करने में भी अध्यापक संलग्न है।
11. पंचायत व नगर निगम होने के बाद भी समग्र आई डी बनवाता है।
12. जाति व आय व मूल निवासी प्रमाणपत्र भी बनवाता है।
13. वर्ष भर के अनावश्यक शिक्षक प्रशिक्षण भी झेलता है।
14. सायकल और यूनिफार्म बांटता है।
15. हर दुसरे दिन आने वाली डाक बनाता है।
16. आर्थिक व जन जनणना करता है।
17.अन्त्योदय मेलो में काउंटर लगाता है।
18.सभी तरह के सर्वे करवाता है।
लगभग स्टेट के सभी विभागों का कार्य वर्तमान में शिक्षक व अध्यापक कर रहे है एवं इन सभी कार्यो के आदेश हमारे शिक्षाधिकारी ही जारी करते है और दूसरी और शिक्षा की गुणवत्ता बढाने पर आये दिन इनके लेक्चर सुनने को मिलते है। एवं इस तरह के गेर शैक्षणिक कार्यो में शिक्षक व अध्यापको को लगाने व उनकी शाला की शैक्षणिक गुणवत्ता का दोहन कर शिक्षक और अध्यापको पर गुणवत्ता को लेकर कारवाही करते है।
क्या ये उचित है? एक और दो दर्जन से अधिक गैर शैक्षणिक कार्यो में शिक्षक व अध्यापको को उलझाकर निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों की तुलना कर इन शिक्षाधिकारियो को थोड़ी भी शर्म नही आती?? क्या आपने कभी देखा है की स्टेट का कोई अन्य विभाग अपने कर्मचारियों को चुनाव कार्य के अतिरिक्त किसी अन्य विभाग में कार्य करने हेतु मुक्त करता है?? शायद आज तक ऐसा नहीं हुआ होगा क्युकी उपरोक्त विभागों में बैठे पदाधिकारी अपने विभाग की गरिमा को बनाए रख बेहतर परिणाम देना चाहते है और किसी भी अन्य कार्य हेतु अपना अमला उपलब्ध नही कराते। परन्तु हमारे शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसा कदापि नही सोचते जो की सर्व विदित भी है यदि शिक्षा विभाग के ये पदाधिकारी चाहे तो अपने शिक्षा विभाग के अमले को सवतंत्र रूप से स्कूलों में शिक्षण कार्य करने हेतु स्वतंत्र रख सकते है और ये बात भी सर्व विदित है की यदि शिक्षक और अध्यापक स्वतंत्र रूप से सिर्फ शैक्षणिक कार्य करे तो सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता का स्तर कहाँ से कहाँ पहुचेगा ये सभी के समक्ष होगा।
वर्तमान में परीक्षाए सर पर है परन्तु आज भी शिक्षक बी.एल.ओ. ड्यूटी समयानुसार दे रहे है,आधार कार्ड बनवा रहे है,,समग्र आई डी मेप करवा रहे है,,आधारकार्ड मतदाता सूचि में लिंक कर रहे है।
पिछले सात माह से भोपाल जिले के कई अध्यापक एस.डी.एम्. कार्यालय में जाति प्रमाण पत्र बनाने के कार्य में उलझे है और कई और अध्यापको को कार्य हेतु बुलाया जा रहा है और हमारे शिक्षा धिकारी बिना शैक्षणिक गुणवत्ता का ध्यान रख,बिना परिक्षाओ की चिंता किये ड्यूटी आदेश प्रदान किये जा रहे है।
1.क्या ऐसे ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता बडाई जाती रहेगी?
2.क्या ऐसे ही शिक्षको और अध्यापको के अटेचमेंट होते रहेंगे?
3.क्या ऐसे ही गरीब तबके के बच्चो की शिक्षा की गुणवत्ता का सौदा होता रहेगा?
4.क्या अन्य विभागों में कार्य करने हेतु अमले नहीं है जो शिक्षको और अध्यापको को उनके कार्यो को करना होगा?
5.क्या शिक्षक और अध्यापको की कमी वाले स्कूलों में कभी कोई अन्य विभाग के कर्मचारियों को सेवा देने हेतु अटेच किया जाएगा?
दोस्तों ऐसे ही कई अनुतरित प्रश्न है जो हमारे शिक्षाधिकारी उत्पन्न कर रहे है जिसमें सुधार होना आवश्यक है।
मुश्ताक खान
भोपाल
मोबाइल नंबर
9179613685
1.दोस्तों क्या कभी आपने सुना है की पुलिस विभाग के 50 कर्मचारियों को ऐसे स्कूल में अटेच किया गया जहाँ शिक्षक व अध्यापको की कमी है।
परन्तु हमारा विभाग आजकल रात्रि गश्त पर शिक्षको और अध्यापको को लगाकर उनकी राते खराब कर रहा है जबकि उसके घर की सुरक्षा ताक पर रखी है।
3.क्या आपने कभी सूना है की स्वास्थ विभाग का अमला स्कूलों में शिक्षण हेतु अपने कर्मचारियों को अटेच करेगा??
परन्तु शिक्षक और अध्यापक पहले पोलियो, फिर आँखों की जांच,,फिर धीरे धीरे मास्टरी से डॉक्टरी तक कर अब बच्चो को आयरन और कृमिनाशक दवाई खिलाने हेतु संलग्न है।
5.इसी तरह वन विभाग पोधा रोपण कराता है।
6.पंचायत विभाग मध्यान्ह भोजन और दूध बनवाता है।
7.निर्वाचन विभाग परिचय पत्र,मतदान,मतगणना, करवाता है।
8.बैंक में खाते शिक्षक और अध्यापक खुलवाता है।
9.आधार कार्ड का काम भी चल रहा है।
10.आधार कार्ड लिंक करने में भी अध्यापक संलग्न है।
11. पंचायत व नगर निगम होने के बाद भी समग्र आई डी बनवाता है।
12. जाति व आय व मूल निवासी प्रमाणपत्र भी बनवाता है।
13. वर्ष भर के अनावश्यक शिक्षक प्रशिक्षण भी झेलता है।
14. सायकल और यूनिफार्म बांटता है।
15. हर दुसरे दिन आने वाली डाक बनाता है।
16. आर्थिक व जन जनणना करता है।
17.अन्त्योदय मेलो में काउंटर लगाता है।
18.सभी तरह के सर्वे करवाता है।
लगभग स्टेट के सभी विभागों का कार्य वर्तमान में शिक्षक व अध्यापक कर रहे है एवं इन सभी कार्यो के आदेश हमारे शिक्षाधिकारी ही जारी करते है और दूसरी और शिक्षा की गुणवत्ता बढाने पर आये दिन इनके लेक्चर सुनने को मिलते है। एवं इस तरह के गेर शैक्षणिक कार्यो में शिक्षक व अध्यापको को लगाने व उनकी शाला की शैक्षणिक गुणवत्ता का दोहन कर शिक्षक और अध्यापको पर गुणवत्ता को लेकर कारवाही करते है।
क्या ये उचित है? एक और दो दर्जन से अधिक गैर शैक्षणिक कार्यो में शिक्षक व अध्यापको को उलझाकर निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों की तुलना कर इन शिक्षाधिकारियो को थोड़ी भी शर्म नही आती?? क्या आपने कभी देखा है की स्टेट का कोई अन्य विभाग अपने कर्मचारियों को चुनाव कार्य के अतिरिक्त किसी अन्य विभाग में कार्य करने हेतु मुक्त करता है?? शायद आज तक ऐसा नहीं हुआ होगा क्युकी उपरोक्त विभागों में बैठे पदाधिकारी अपने विभाग की गरिमा को बनाए रख बेहतर परिणाम देना चाहते है और किसी भी अन्य कार्य हेतु अपना अमला उपलब्ध नही कराते। परन्तु हमारे शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसा कदापि नही सोचते जो की सर्व विदित भी है यदि शिक्षा विभाग के ये पदाधिकारी चाहे तो अपने शिक्षा विभाग के अमले को सवतंत्र रूप से स्कूलों में शिक्षण कार्य करने हेतु स्वतंत्र रख सकते है और ये बात भी सर्व विदित है की यदि शिक्षक और अध्यापक स्वतंत्र रूप से सिर्फ शैक्षणिक कार्य करे तो सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता का स्तर कहाँ से कहाँ पहुचेगा ये सभी के समक्ष होगा।
वर्तमान में परीक्षाए सर पर है परन्तु आज भी शिक्षक बी.एल.ओ. ड्यूटी समयानुसार दे रहे है,आधार कार्ड बनवा रहे है,,समग्र आई डी मेप करवा रहे है,,आधारकार्ड मतदाता सूचि में लिंक कर रहे है।
पिछले सात माह से भोपाल जिले के कई अध्यापक एस.डी.एम्. कार्यालय में जाति प्रमाण पत्र बनाने के कार्य में उलझे है और कई और अध्यापको को कार्य हेतु बुलाया जा रहा है और हमारे शिक्षा धिकारी बिना शैक्षणिक गुणवत्ता का ध्यान रख,बिना परिक्षाओ की चिंता किये ड्यूटी आदेश प्रदान किये जा रहे है।
1.क्या ऐसे ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता बडाई जाती रहेगी?
2.क्या ऐसे ही शिक्षको और अध्यापको के अटेचमेंट होते रहेंगे?
3.क्या ऐसे ही गरीब तबके के बच्चो की शिक्षा की गुणवत्ता का सौदा होता रहेगा?
4.क्या अन्य विभागों में कार्य करने हेतु अमले नहीं है जो शिक्षको और अध्यापको को उनके कार्यो को करना होगा?
5.क्या शिक्षक और अध्यापको की कमी वाले स्कूलों में कभी कोई अन्य विभाग के कर्मचारियों को सेवा देने हेतु अटेच किया जाएगा?
दोस्तों ऐसे ही कई अनुतरित प्रश्न है जो हमारे शिक्षाधिकारी उत्पन्न कर रहे है जिसमें सुधार होना आवश्यक है।
मुश्ताक खान
भोपाल
मोबाइल नंबर
9179613685