हमें अपना नहीं अध्यापक हित देखना चाहिए

आदरणीय साथियों
सादर वंदे ,
साथियों अध्यापक समाज आज संक्रमण के काल से गुजर रहा है। आज अध्यापक हित की कोई बात नहीं कर रहा है। सब आज के समय में अपनी ढपली अपना राग अलाप रहें है। हर कोई अपने आप को अध्यापक हितेषी बता रहा है। साथियों अब आम अध्यापक को समझना होगा की कौन वास्तव में अध्यापक हित चाहता है। किसी को बुरा बताकर,अध्यापकों को बहलाकर किसी आंदोलन की बुनियाद ज्यादा लंबी नहीं हो सकती है। आज अद्यापक भ्रमित हो रहा है वह समझ नहीं पा रहा है कि किसके साथ बैठा जाय।

साथियों हम सब शिक्षक हैं भला बुरा भी जानते है। अब आपको ही आगे आना होगा और एक मंच की शर्त पर ही किसी को स्वीकारना होगा। नहीं तो अध्यापक क्रांति जो कर्मचारी जगत में एक इतिहास रच गई है वह सब बिखर जावेगी। इतिहास में आज तक अध्यापक जगत का इतना बिखराव शायद पहली बार देखा जा रहा है।इसका कारण भी हम सब हैं जो तथाकथित अध्यापक नेताओं के बयानों के झांसे में आकर फँस जाते है।

साथियों आपसे एक अपील करना चाहता हूँ कि आप सब आत्म चिंतन करे और दिशा तय करें। कोई नेता कुछ नहीं दिला सकता है। अगर अध्यापकों को जो कुछ मिला है या मिलेगा वो सब प्रदेश के समस्त अध्यापकों की एकता की ताकत है। एकता का अपना एक महत्व है जो आप सब जानते है। एकता ही हमें सब कुछ दिला सकती है। जो अपना राग अलाप रहा हो निश्चित ही अध्यापक हितेषी हो ही नहीं सकता है। 11 धड़ों में बटा यह अध्यापक समाज आज दिशा विहीन होते जा रहा है जो अध्यापक इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। परिणाम हम सब आँखों देख रहें है। अगर आज भी हम नहीं चेते तो परिणाम और भी बुरे हो सकते हैं। साथियों समस्याएं हमारे सामने खड़ी हो हमें पुकार रही है परन्तु हम सब एक दूसरे की और देख रहें है। अब हमें आगे आना ही होगा कौन अध्यापक हितेषी है कौन एकता का पक्षधर है उसे पहचानना होगा और साथ आकर आगे बढना होगा।

जो एकता के पक्ष में नहीं है निश्चित वह आपका नही खुद का भला चाहता है वह खुद अपने आप को स्थापित करना चाहता है आपकी ताकत के सहारे। अब हमें इनको पहचानना होगा तभी हम कुछ हासिल कर सकते हैं।फैसला आपको करना है। म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन ने सभी को एक मंच पर लाने की पहल की है। अध्यापक हित के सभी संगठनों को खुला आमन्त्रण है कि अध्यापक हित में आओ हम सब एक हो। तीन नदियां जब एक स्थान पर मिलती है तो वह त्रिवेणी संगम हो जाता है और आप सब जानते हैं कि उसका कितना महत्व है। आज हम अध्यापक महासागर की 11 धाराओं को एक साथ मिलने का खुला आमन्त्रण देतें है आवाज दो हम एक हैं। क्योकिं हम राजनीती नहीं करते हैं, हमें अपना नहीं अध्यापक हित चाहते हैं। हम सबसे आव्हान करते हैं कि आदेश में अगर अब कोई विसंगति रहती है तो आदेश के पांचवे दिन से भोपाल में महाआंदोलन का शंखनाद कर दिया गया है।हम सब एक मंच पर आकर करें क्योकिं अध्यापक हित इसी में है. और हम अध्यापक हित चाहतें हैं। जो भी अध्यापक हित चाहेगा, वह साथ होगा । फैसला अब आपके हाथ में है अध्यापक हितेषी जो होगा वह आप सभी के साथ होगा।

आपका भाई
अशोक कुमार देवराले
प्रांतीय उपाध्यक्ष
म.प्र.,शासकीय अध्यापक संगठन

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