इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने राजीव कुमार की नियुक्ति विभाग में प्रमुख सचिव पद पर तैनाती को लेकर प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि जब अधिकारी को सीबीआई कोर्ट से तीन साल की सजा हो चुकी है तो उनकी तैनाती इतने महत्वपूर्ण पद पर क्यों की गई। कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस बाबत दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इसके साथ ही सरकार को इस संबंध में अपनी नीति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि प्रमुख सचिव नियुक्ति का पद महत्वपूर्ण पदों में आता है या नहीं।
पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी जेएफ रिबेरो और अन्य रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस अधिकारियों की ओर से दाखिल जनहित याचिका में राजीव कुमार की तैनाती को चुनौती दी गई है। याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एमके गुप्ता की खंडपीठ ने सुनवाई की।
याचिका में कहा गया है कि प्रमुख सचिव नियुक्ति राजीव कुमार को सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद ने 20 नवंबर, 2012 को भ्रष्टाचार के मामले में तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। उन पर नोएडा अथॉरिटी में डिप्टी सीईओ के पद पर तैनाती के दौरान भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप साबित हुआ था।
राजीव कुमार ने सीबीआई कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उनकी सजा के अमल पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह का कहना था कि सजा के खिलाफ अपील पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। किसी भी दिन यह निर्णय आ सकता है। याचिका पर अगली सुनवाई 26 फरवरी को होगी।