12 साल बाद राज्य सरकार ने दूर की सांसदों की समस्या

Bhopal Samachar
भोपाल। मप्र में आम आदमी की समस्याएं दूर करने के लिए यूं तो हेल्पलाइन है परंतु समस्याएं कितनी दूर होतीं हैं यह सभी जानते हैं। लापरवाही की हद देखिए, मप्र में सांसदों की सामूहिक समस्या का समाधान 12 साल बाद किया गया। दिग्गी सरकार द्वारा लिए गए निर्णय पर बजट अब जाकर तय किया जा रहा है। 

एक प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से तैयार किया जा रहा है जिसे शीघ्र ही कैबिनेट में लाने की तैयारी है। प्रदेश में लोकसभा के 29 और राज्यसभा के 11 सांसद हैं।  तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में क्षेत्रीय सांसदों को अपने क्षेत्र में दौरा करने का प्रावधान किया गया था। शासन ने सांसदों को वाहन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग को दी थी लेकिन, यह स्पष्ट नहीं था कि वाहन का किराया भुगतान किस मद से किया जाएगा। लिहाजा, जिले के आरटीओ सांसदों को वाहन उपलब्ध कराने में जी चुराने लगे। सांसदों को दौरा करने के लिए वाहन मुहैया कराने का निर्णय 23 फरवरी 2004 को लिया गया था।

CS डिसा ने किया बजट की अड़चनें दूर करने का वादा
सांसदों को क्षेत्र में भ्रमण के लिए वाहन उपलब्ध कराने का निर्णय तत्कालीन अपर मुख्य सचिव परिवहन अंटोनी डिसा के रहते हुआ था। डिसा अब मुख्यसचिव हैं। लिहाजा उनके ध्यान में लाया गया है कि सांसदों के दौरे के दौरान बजट की समस्या आ रही है। सीएस ने सारे गुणदोष देखने के बाद तय किया है कि बजट अड़चन दूर की जाएगी। सांसद को उनके मांग के अनुसार वाहन उपलब्ध नहीं कराने पर भिंड के तत्कालीन आरटीओ की शिकायत हुई थी। आरटीओ ने बजट का प्रावधान नहीं होने की बात कहते हुए वाहन उपलब्ध कराने से मना कर दिया था। वाहन नहीं मिलने की बात कुछ सांसदों ने भी शासन को अवगत कराया था।

पर, नहीं मिलेगी लक्जरी गाड़ी
शासन स्तर पर तैयार किए गए प्रस्ताव पर प्रावधान किया गया है सांसद को अपने क्षेत्र में भ्रमण करने के लिए उनके गृह जिले का कलेक्टर किराए का वाहन उपलब्ध कराएगा। वाहन लक्जरी नहीं होगी। सांसद सात दिन तक अपने इलाके में कहीं भी आ-जा सकेंगे। यह व्यवस्था माह में एकबार के लिए होगी। राज्यसभा सांसदों के लिए सात दिन के लिए पूरे प्रदेश में कहीं भी भ्रमण करने के लिए छूट रहेगी।

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