
ऐसे साफ की नदी
40 गांव की नालियों का गंदा पानी लोग नदी में मिलाते थे। इससे यह एक गंदे नाले में बदल गई थी। नतीजतन आस-पास के खेतों को पानी नहीं मिल पाता था। साल 2000 में पर्यावरण कार्यकर्ता बलबीर सिंह सीचेवाल ने इस नदी को साफ करने का काम शुरू किया था। उन्होंने अपने साथी और सहयोगी स्वयं सेवकों के साथ मिलकर सबसे पहले इसके तटों का निर्माण किया और नदी के किनारे-किनारे सड़कें बनाई। सीचेवाल ने लोगों के बीच जनजागृति अभियान चलाया। इसके तहत लोगों से अपना कूड़ाकरकट कहीं और डालने को कहा गया। नदी में मिलने वाले गंदे नालों का रुख मोड़ा गया और सबसे बड़ी बात, नदी के किनारे बसे लोगों को इसकी पवित्रता को लेकर जागरुक किया गया। जिस नदी के किनारे खड़े होने पर लोगों को नाक पर रुमाल रखना पड़ता था, अब उसी नदी के किनारे लोग पिकनिक मनाते हैं।
क्यों खास है ये नदी
काली बीन नदी होशियारपुर जिले में 160 किलोमीटर क्षेत्र में बहती है। यह वही काली बीन नदी है, जिसके किनारे 500 साल पहले गुरु नानक देव को अंतर्ज्ञान प्राप्त हुआ था और वे नानक से गुरु नानक के रूप में पहचाने जाने लगे थे।