नगरनिगम में लो-फ्लोर बस खरीदी घोटाला: 3 साल पुरानी बसें खरीदीं

भोपाल। जिन 20 एसी बसों को असफल रहने के कारण प्लांट पर खड़ा कर दिया गया था, उन्हीं को तीन साल बाद भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) ने खरीद लिया। यही वजह है कि ये बसें एक साल भी राजधानी में नहीं चल पाईं  और 12 करोड़ रुपए का नुक्सान हो गया। अब ये सारी बसें खटारा हो चुकीं हैं और सड़क पर नहीं चल रहीं हैं। 

जानकारी के मुताबिक टाटा मोटर्स की 20 एसी बसों का निर्माण 2010 में हुआ था। इन बसों को सबसे पहले कोलकाता में चलाया गया। यहां ये फ्लॉप हो गईं, तो इन्हें कंपनी को वापस कर दिया गया। इसके बाद बसें कंपनी के जमशेदपुर स्थित प्लांट पर तीन साल तक खड़ी रहीं। तीन साल पुरानी इन बसों को बीसीएलएल ने प्रति बस 62 लाख रुपए के हिसाब से 2013 में खरीद लिया गया। 27 सितंबर 2013 में टीआर 4 रूट (चिरायु से मिसरोद तक) बसों का संचालन शुरू हुआ, लेकिन बसें पुरानी होने के कारण इनमें मेंटेनेंस खर्च कमाई के मुकाबले दोगुना हो गया। घाटे के चलते ऑपरेटर ने मई 2015 में एसी बसों का संचालन बंद कर दिया।

इसलिए नहीं मिल रहे ऑपरेटर
नॉन एसी बसें एक लीटर डीजल में करीब चार किमी चलती हैं। जबकि एसी बसें एक लीटर डीजल से एक से डेढ़ किमी ही चल पाती हैं। नॉन एसी का ऑपरेटिंग खर्च 35 से 40 रुपए प्रति किमी आता है, जबकि एसी बसों का मेंटेनेंस खर्च प्रति किमी 55 से 60 रुपए पड़ता है। इसलिए एसी बसों को चलाना महंगा होने के कारण ऑपरेटर पीछे हट रहे हैं।

बीसीएलएल एक महीने भी नहीं चला पाया बसें
कैपिटल रोडवेज कंपनी द्वारा इन 20 एसी बसों को बंद करने के बाद बीसीएलएल खुद इन्हें चलाने को तैयार हुआ, लेकिन लगातार घाटे के कारण एक महीने बाद ही बसें खड़ी कर दी गईं। अब टेंडर निकालकर नए ऑपरेटर की तलाश की जा रही है।

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