जबलपुर। हर साल दरें बढ़ाने और उपभोक्ताओं से बिल वसूली में फुर्ती दिखाने वाली बिजली कंपनियां अनुकंपा नियुक्ति के मामले में नाकाम साबित हो रही हैं। अकेले पूर्व क्षेत्र कंपनी में ही अनुकंपा नियुक्ति के चार सौ आवेदन फाइलों में दबे पड़े हैं। नौकरी का इंतजार कर रहे लोग चक्कर काटने को मजबूर हैं। आवेदनों का अंबारपूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का मुख्यालय एक साल में 20 लोगों को ही अनुकंपा नियुक्ति दे पाया है। और एक साल से लगभग चार सौ आवेदन लंबित पड़े हुए हैं।
कठिन नियम बने रोड़ा
बिजली कंपनियों में अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान तो है, लेकिन कंपनियों के गठन के दौरान अनुकंपा नियुक्ति के लिए बनाए गए नियम इतने कठिन कर दिए गए हैं कि अफसर चाह कर भी अनुकंपा नियुक्ति के आदेश जारी नहीं कर पा रहे हैं। बाबू के पद के लिए ही अनुकंपा नियुक्ति के तीनों नियम पूर्ण न कर पाने के कारण लगभग 60 आवेदन महीनों से पेंडिंग पड़े हुए हैं। बीए सेकंड डिवीजन, कम्प्यूटर डिप्लोमा व तीस शब्द प्रति मिनट टाइपिंग स्पीड आवश्यक की गई है। बताया गया कि आवेदन इन तीनों शर्तों को पूरी नहीं कर पा रहे। वहीं चपरासी के पद न होने के कारण भी सैकड़ों आवेदन पेंडिंग पड़े हैं।
ऊर्जा विभाग को लिखा पत्र
पूर्व क्षेत्र कंपनी के एचआर विभाग द्वारा अनुकंपा नियुक्ति की शर्तें जटिल होने के कारण हाल ही में ऊर्जा विभाग को पत्र भेजा गया है। सीजीएम एचआर द्वारा भेजे गए इस पत्र में अनुकंपा नियुक्ति की शर्तों को सरल बनाने का आग्रह किया गया है, ताकि अनुकंपा नियुक्ति के पेंडिंग मामलों को निपटाया जा सके। सूत्रों की मानें तो जटिल नियमों के कारण ही विद्युत मंडल के विभाजन के समय के लगभग छह हजार अनुकंपा आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति का मामला अटका हुआ है।
"अनुकंपा नियुक्ति की शर्तों को सरल करने के लिए ऊर्जा विभाग को पत्र भेजा गया है। इस संबंध में यदि कोई निर्णय लिया जाता है, तो उसके तहत कदम उठाए जाएंगे"।-
एबी सिंह, सीजीएम एचआर, पूर्व क्षेत्र कंपनी