भोपाल। हम डॉक्टरों के विश्वास में आकर एग्री हो गए थे, नहीं तो इलाज के लिए बेटे को कहीं ओर ले जाते। हमारा पैसा (6 लाख) भी गया और बेटा भी हमेशा के लिए चला गया। संभवतः ऑपरेशन के दौरान ही अनिमेष की मौत हो गई थी, लेकिन उसे वेंटीलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों ने 12 घंटे बाद कहा कि आपके बेटे की मौत होना बता दी गई है।
यह आरोप बंसल अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले छात्र अनिमेष रावत के पिता महेश रावत ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाए हैं। महेश रावत का कहना है कि उन्हें बताया गया था कि अनिमेष का ऑपरेशन करने के लिए दिल्ली से विशेषज्ञ डॉक्टर को बुलाया गया है, लेकिन ऑपरेशन इसी अस्पताल के डॉक्टर ने किया। करीब सात घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद अनिमेष को वेंटीलेटर पर रखकर उनके हवाले किया, तभी उन्हें शंका होने लगी थी। डॉक्टर भी उसकी स्थित लगातार क्रिटिकल होने की बात कर रहे थे। उनकी चर्चा से उन्हें आभास हो गया था कि ऑपरेशन सक्सेस नहीं हुआ।
3 मार्च को बताया था कि हेडइंजुरी नहीं है
रावत ने बताया कि 3 मार्च को अस्पताल में अनिमेष का सिटी स्कैन, एमआरआई जांच हुई थी। रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बताया था कि बेटे को हेडइंजुरी नहीं है, लेकिन उसके जबड़े में गंभीर चोट है। डॉ. प्रभु ने जबड़े का ऑपरेशन किया और प्लेट डाल दी। 5 मार्च को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। तब अनिमेष की नाक से पानी का रिसाव हो रहा था। डॉक्टरों ने बताया कि चिंता की बात नहीं है पानी का रिसाव अपने आप बंद हो जाएगा।
हाथ के इशारे से वह बोला था कि ठीक हो जाऊंगा
अनिमेष के पिता ने बताया कि उसकी नाक से खून का रिसाव शुरू होने पर अस्पताल पहुंचे तो बेटे को फिर भर्ती कर लिया गया। डॉक्टरों ने खून बंद करने के लिए नाक में रुई लगाकर टेप लगा दिया था। 10 मार्च की रात 9:30 बजे उसे ऑपरेशन के लिए ले जाया जा रहा था। तब उन्होंने बेटे से तकलीफ के बारे में पूछा तो उसने हाथ के इशारे से ठीक हो जाने का भरोसा दिलाया। इसके पूर्व वह बात भी कर रहा था। 11 मार्च की सुबह 4:30 बजे अनिमेष को वेंटीलेटर के साथ ऑपरेशन थियेटर से बाहर लाया गया। उसमें किसी तरह की चेतना नहीं दिख रही थी। रात 10:30 बजे डॉक्टर ने अनिमेष की मौत हो जाने की सूचना दे दी।
हमारा तो चिराग ही बुझ गया
तीन भाइयों में सबसे छोटा अनिमेष काफी होनहार था। पिता महेश रावत ने बताया कि दोनों बड़े बच्चे कम पढ़ लिखे होने के कारण बेरोजगार हैं। अनिमेष से परिवार को काफी उम्मीदें थीं। उसने इंटेलीजेंस ब्यूरों की परीक्षा का भी फॉर्म भरा था। 20 मार्च को उसका इम्तिहान भी होने वाला था, लेकिन सब कुछ उसके साथ ही खत्म हो गया।
भविष्य में ऐसा किसी के साथ न हो
महेश रावत का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने उनके बेटे के इलाज के 5 लाख 93 हजार रुपए लिए हैं। इतना पैसा खर्च करने के बाद भी उनका बेटा उनके हाथ से चला गया। जिम्मेदारों का फर्ज है कि वे इस तरह की व्यवस्था बनाएं, ताकि भविष्य में और किसी के साथ इस तरह की घटना न हो।
बारह दिन पहले बाइक से गिरकर घायल हुआ था अनिमेष
अनिमेष एक निजी कॉलेज में फार्मेसी के फाइनल ईयर का छात्र था। रातीबड़ पुलिस के मुताबिक अनिमेष साकेत नगर में रहता था। वह बारह दिन पहले 27 फरवरी की शाम को अपने दोस्त ऋतुराज के साथ कलियासोत डेम पर घूमने गया था। शाम करीब 5ः30 बजे वे नंदिनी गौशाला तरफ से डेम की तरफ आ रहे थे, तभी उनकी बाइक फिसल गई। हादसे में अनिमेष के चेहरे और सिर में गंभीर चोट लग गई थी। उसे डायल-100 से बंसल अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था।
कोर्ट जा सकते हैं परिजन
मरीज हेडइंजुरी से पीड़ित था। डॉक्टरों की टीम रात 8 से सुबह 4 बजे तक उसे बचाने का प्रयास करती रही। इसके बाद भी उन्हें कोई शिकायत है, तो मरीज के परिजन कोर्ट जा सकते हैं।
डॉ. स्कंद त्रिवेदी, बंसल अस्पताल