भोपाल। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर एवं मप्र यूनाईटेड फोरम पावर ईम्पलाईज एवं इंजीनियर्स के संयोजक इंजी. व्हीकेएस परिहार के नेतृत्व मेें बिजली कम्पनी के एमडी विवेक पोरवाल की हठधर्मिता के विरोध में बिजली कम्पनियों में कार्यरत हजारों संविदा कर्मचारियों ने आज भोपाल गोविन्दपुरा स्थित बिजली मुख्यालय के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी है।
भूख हड़ताल के दौरान बिजली संविदा कर्मचारियों नें भाजपा कार्यालय के सामने स्थित भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भाजपा के प्रणेता डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा स्थल पर जाकर प्रतिमा की साफ सफाई करते हुये माल्यार्पण कर भाजपा के घोषणा पत्र को डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पढ़कर सुनाया और प्रतिमा से अनुरोध किया गया भाजपा के पदाधिकारियों और मुख्यमंत्री को घोषणा पत्र में किये गये वादे को पूरा करने के लिए कहें। घोषणा पत्र तथा ज्ञापन प्रतिमा को सौंपा। उनकी प्रतिमा स्थल पर भाजपा का घोषाणा पत्र जनसंकल्प को चिपकाया।
गौरतलब है कि मप्र उच्च न्यायालय ने बिजली संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण होने तक संविदा से हटाने पर रोक लगाई हुई है । पावर मैनेजमेंट कम्पनी ने सभी संविदा कर्मचारियों को संविदा शर्तो के अधीन लेने की घोषणा कर दी है । म.प्र. भाजपा सरकार के 2013 चुनावी घोषणा पत्र के तैतीसवें पृष्ठ पर स्पष्ट उल्लेख है कि यदि तीसरी बार भाजपा की सरकार बनती है तो बिजली विभाग के संविदा कर्मचारियों को शीध्र नियमितीकरण किया जायेगा लेकिन नियमितीकरण करना तो दूर मध्यक्षेत्र विघुत वितरण कम्पनी के मैनेजिंग डारेक्टर विवेक पोरवाल ने हठधर्मिता अपनाते हुये बिजली संविदा कर्मचारियों को 30 अप्रैल से सेवा समाप्ति के नोटिस जारी कर दिये हैं, तथा पूर्व से कार्यरत संविदा कर्मचारियों के स्थान पर संविदा पर ही नई भर्ती करने के नोटिस जारी कर दिये। जिससे प्रदेश के आठ हजार बिजली संविदा कर्मचारियों अधिकारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है।
जिसके कारण बिजली संविदा कर्मचारियों ने म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ और म.प्र. युनाईटेड फोरम पावर ईम्पलाईज एवं इंजीनियर्स के बैनर तले आंदोलन छेड़ दिया है । आंदोलन के पहले चरण में बिजली संविदा कर्मचारियों ने गोविन्द पुरा स्थित बिजली मुख्यालय के सामने भूख हड़ताल प्रारंभ कर दी है । महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर तथा फोरम के संयोजक इंजी. व्ही.के.एस. परिहार ने बताया कि बिजली संविदा कर्मचारियों के इस आंदोलन के जनक मध्य क्षेत्र बिजली कम्पनी के एम.डी. विवेक पोरवाल हैं । क्योंकि म.प्र. शासन के घोषणा पत्र के पालन में बिजली कम्पनियों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पत्र जारी कर दिये थे । लेकिन एम.डी. पोरवाल ने नियमितीकरण तो दूर संविदा बिजली कर्मचारियों को निकालने की कार्यवाही भी प्रांरभ कर दी है । जिसके कारण आज बिजली विभाग के संविदा कर्मचारियों और इंजीनियर्स ने भाजपा के संस्थापक डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी को भाजपा का 2013 चुनावी घोषणा पत्र की कापी सौंपी क्योंकि म.प्र. सरकार तथा भाजपा के सभी पदाधिकारियों को ज्ञापन देकर चुनावी वादा याद दिलाकर नियमितीकरण की मांग कर चुके संविदा कर्मचारियों के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था क्योंकि पार्टी के लोग ही अपने चुनावी घोषणा पत्र का पालन नहीं कर रहे हैं तो डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा को ज्ञापन देने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है ।
संविदा कर्मचारी अधिकारी क्यों हैं आक्रोशित - पांच वर्ष पूर्व पारदर्शी तरीके से एम.पी आनलाईन के माध्यम् से चयनित होकर आए बिजली संविदा इंजीनियर्स और लाईन परिचालक, लाईन अटैन्डेन्डों को निकालकर नई भर्ती संविदा पर ही की जायेगी । इससे सरकार को कोई फायदा नहीं होगा बल्कि नुकसान यह होगा कि जो कुशल तकनीकी कर्मचारियों को निकालकर नये लोग आयेंगें उनको काम फिर से सिखाना होगा ।
परिवार का क्या होगा - पूर्व से संविदा कर्मचारी अधिकारी काम कर रहे हैं उनके शादी ब्याह हो चुके हैं। परिवार बस चुका हैं । बच्चे स्कूल जाते हैं उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जायेगा ।
मोदी जी के स्किल्ड विचार का क्या होगा - देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी युवाओं को स्किल्ड पर जोर दे रहे हैं । दूसरी और अफसर शाह और नौकर शाह उस पर पलीता लगा रहे हैं। ये जो कर्मचारी अधिकारी निकाले जायेंगें वो पुरी तरह स्किल्ड कर्मचारी अधिकारी हैं उनसे लगा हुआ रोजगार छिना जा रहा है ।
न्यायालय की अवमानना - म.प्र. जबलपुर उच्च न्यायलय ने बिजली वितरण कम्पनियों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को हटाने पर रोक लगाई है । उसके बावजूद बिजली कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक पोरवाल ने संविदा कर्मचारियों को हटाकर नई भर्ती संविदा पर ही करने के निर्देश जारी कर दिये हैं।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि यदि बिजली संविदा कर्मचारियों को निकाला गया तो प्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारी - अधिकारी आंदोलन पर उतर जायेंगें तथा बिजली विभाग के नियमित कर्मचारी अधिकारी भी संविदा बिजली कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुये हड़ताल पर चले जायेंगें ।