भोपाल। वर्तमान सरकार के द्वारा वर्ष 2013 के चुनाव के समय घोषणा पत्र में किये गये लिखित वादे, कि तीसरी बार सरकार बनते ही बिजली संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जायेगा के वादे से मुकर जाने और मध्य क्षेत्र विघुत वितरण कम्पनी के एमडी विवेक पोरवार के द्वारा सेवा समाप्त किये जाने के नोटिस दिये जाने के विरोध में प्रदेश की पांचों वितरण कम्पनी में कार्यरत लाईन मेन, परीक्षण सहायक, जुनियर इंजीनियर, सहायक यंत्री राजधानी भोपाल के गोविन्दपुरा में बिजली मुख्यालय के सामने भूख हड़ताल पर कल से बैंठे हैं।
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर एवं मप्र युनाईटेड फोरम पावर ईम्पलाईज एवं इंजीनियर्स के संयोजक इंजी. व्हीकेएस परिहार और संविदा महासंघ की बिजली विभागीय इकाई के अध्यक्ष दीपक चैधरी के नेतृत्व मेें भूख हड़ताल के दूसरे दिन संविदा बिजली कर्मियों ने घास, फूस और पत्तियां खाकर बिजली दफतर के सामने प्रदर्शन कर नारेबाजी की। कल संविदा कर्मचारियों ने घोषणा पत्र में वादे को पूरा नहीं किये जाने के कारण भाजपा कार्यालय के सामने स्थित भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भाजपा के प्रणेता डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा को घोषणा पत्र पढ़कर सुनाकर प्रदर्शन किया था । गौरतलब है कि म.प्र. उच्च न्यायालय ने बिजली संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण होने तक संविदा से हटाने पर रोक लगाई हुई है । उसके बाद भी एम.डी. विवेक पोरवार ने संविदा बिजली कर्मियों की सेवा समाप्ति के नोटिस जारी कर दिये हैं।
क्या है मामला
म.प्र. भाजपा सरकार के 2013 चुनावी घोषणा पत्र के तैतीसवें पृष्ठ पर स्पष्ट उल्लेख है कि यदि तीसरी बार भाजपा की सरकार बनती है तो बिजली विभाग के संविदा कर्मचारियों को शीध्र नियमितीकरण किया जायेगा लेकिन नियमितीकरण करना तो दूर मध्यक्षेत्र विघुत वितरण कम्पनी के मैनेजिंग डारेक्टर विवेक पोरवाल ने हठधर्मिता अपनाते हुये बिजली संविदा कर्मचारियों को 30 अप्रैल से सेवा समाप्ति के नोटिस जारी कर दिये हैं, तथा पूर्व से कार्यरत संविदा कर्मचारियों के स्थान पर संविदा पर ही नई भर्ती करने के नोटिस जारी कर दिये। जिससे प्रदेश के आठ हजार बिजली संविदा कर्मचारियों अधिकारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है।
बिजली कर्मचारी अधिकारी क्या चाहते हैं
विगत पांच - छः वर्षो से संविदा पर कार्यरत बिजली कर्मचारी और इंजीनियिर चाहते हैं कि जब नई भर्ती संविदा पर ही करनी है तो जो पहले से संविदा कर्मचारी अधिकारी कार्य कर रहे हैं तो उन्हीं को रखा जाए । नये संविदा इंजीनियरों और कर्मचारियों को फिर से प्रशिक्षित करना होगा । दूसरा भाजपा सरकार ने घोषणा पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि बिजली संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जायेगा तो घोषणा पत्र का पालन करते हुये संविदा बिजली कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
बिजली संविदा कर्मचारी अधिकारी क्यों हैं आक्रोशित
म.प्र. सरकार ने पंचायत कर्मियों, गुरूजियों, शिक्षाकर्मियों जिनकी नियुक्ति सरपंचों और ग्राम समुदायों ने की थी बिना किसी पारदर्शी तरीके से उनको सरकार ने नियमित कर दिया और जो कर्मचारी अधिकारी विधिवत समाचार - पत्रों में निकाले गये विज्ञापन के माध्यम् से आए हैं उनको नौकरी से हटा रही है ।
परिवार का क्या होगा
पूर्व से संविदा कर्मचारी अधिकारी काम कर रहे हैं उनके शादी ब्याह हो चुके हैं। परिवार बस चुका हैं । बच्चे स्कूल जाते हैं उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जायेगा ।
मोदी जी के स्किल्ड डवलपमेंट का क्या होगा
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी युवाओं को स्किल्ड पर जोर दे रहे हैं । दूसरी और अफसर शाह और नौकर शाह उस पर पलीता लगा रहे हैं। ये जो कर्मचारी अधिकारी निकाले जायेंगें वो पुरी तरह स्किल्ड कर्मचारी अधिकारी हैं उनसे लगा हुआ रोजगार छीना जा रहा है ।
न्यायलय की अवमानना
म.प्र. जबलपुर उच्च न्यायलय ने बिजली वितरण कम्पनियों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को हटाने पर रोक लगाई है । उसके बावजूद बिजली कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक पोरवाल ने संविदा कर्मचारियों को हटाकर नई भर्ती संविदा पर ही करने के निर्देश जारी कर दिये हैं।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर और विभागीय इकाई के अध्यक्ष दीपक चैधरी ने बताया कि यदि बिजली संविदा कर्मचारियों को निकाला गया तो प्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारी - अधिकारी आंदोलन पर उतर जायेंगें तथा बिजली विभाग के नियमित कर्मचारी अधिकारी भी संविदा बिजली कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुये हड़ताल पर चले जायेंगें।