कुलदीप भावसार/इंदौर। वकील की गैर हाजिरी में खारिज हुए एक केस में पक्षकार इतना आहत हुआ कि उसने वकील के खिलाफ ही जिला उपभोक्ता फोरम में केस लगा दिया। कोई वकील उसकी ओर से पैरवी को तैयार नहीं हुआ तो उसने खुद अपनी पैरवी की। जिला उपभोक्ता फोरम से कोई राहत नहीं मिली तो उसने राज्य उपभोक्ता फोरम में चुनौती दी। राज्य उपभोक्ता फोरम ने वकील की सेवा में त्रुटि मानते हुए 10 हजार रुपए जुर्माना लगाया।
मामला मालवा मिल के पास विश्रांति चौराहे पर गुमटी लगाने वाले धन्नालाल पिता चैनाराम का है। नगर निगम ने गुमटी हटाने के लिए उसे नोटिस दिया था। इसे चुनौती देते हुए उसने निगम के खिलाफ जिला कोर्ट में केस लगा दिया। पैरवी के लिए किला मैदान क्षेत्र में रहने वाले एक वकील को चार हजार रुपए फीस भी दी। वकील ने उसे विश्वास दिलाया था कि वे निगम की कार्रवाई पर कोर्ट से स्टे ले लेंगे। प्रकरण में 19 मार्च 2012 को बहस होना थी, लेकिन वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ। कोर्ट ने इस पर केस खारिज कर दिया। वकील ने इसकी कोई सूचना भी धन्नाालाल को नहीं दी।
केस खारिज होने के बाद निगम का अमला गुमटी हटाने पहुंचा तो उसे इस बारे में पता चला। उसने वकील से बात की तो उन्होंने बताया कि अब तो अपील अवधि भी बीत चुकी है। कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। वकील के बर्ताव से आहत धन्नालाल ने जिला उपभोक्ता फोरम में वकील के खिलाफ केस लगा दिया। इसमें उसने वकील को दी 4 हजार रुपए की फीस और 50 हजार रुपए मानसिक संत्रास की भरपाई के रूप में दिलाने की गुहार लगाई।
पैरवी को तैयार नहीं थे वकील
धन्नाालाल ने बताया कि जिला उपभोक्ता फोरम में वकील के खिलाफ केस लड़ने के लिए मैंने कई वकीलों से बात की, लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। वकीलों का कहना था कि वे किसी वकील के खिलाफ इस तरह के मामलों में पैरवी नहीं कर सकते। इस पर मैंने खुद ही अपना पक्ष फोरम के समक्ष रखा। हालांकि 21 जुलाई 2014 को फोरम ने मेरा केस खारिज कर दिया। मैंने इस फैसले को राज्य उपभोक्ता फोरम में चुनौती दी। वहां भी मैंने खुद ही अपने केस में पैरवी की।
बार-बार नोटिस के बाद भी नहीं आए वकील
पक्षकार से फीस लेने के बावजूद कोर्ट में उपस्थित नहीं होने वाले वकील को राज्य उपभोक्ता फोरम ने बार-बार नोटिस जारी किए। इसके बावजूद वे फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। हाल ही में इस मामले में फैसला जारी किया गया। राज्य उपभोक्ता फोरम ने माना कि फीस लेने के बावजूद वकील कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। यह सेवा में त्रुटि है। पक्षकार को हुए मानसिक कष्ट के लिए वकील पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। यह रकम 30 दिन के भीतर वकील को पक्षकार को देना है।