सोशल मीडिया पर अध्यापक समाज को बदनाम मत करो

आदरणीय अध्यापक साथियों
सादर वंदे,
साथियों आपसे एक विनम्र निवेदन कर रहा हूँ कि वर्तमान समय में देखने में आ रहा है कि सोशल मीडिया पर हमारे कुछ साथियों की भाषा बहुत ही निष्कृष्ट होती जा रही है। साथियो, मतभेद होना एक स्वाभाविक प्रकिया है, विचारों में भिन्नता होने से प्रायः मतभेद हो सकते है।परंतु किसी भी परिस्तिथि में मनभेद नहीं होना चाहिए। साथियों, हम सब अध्यापक हैं हमारा सबका लक्ष्य एक ही है तो फिर विवाद की स्थिति नहीं बनना चाहिए। सोशल मीडिया पर समाज और सरकार की पैनी नजर होती है अतः यह सब कहीं न कहीं हमारी शिक्षकीय गरिमा पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है। साथियों, मैं 1998 से अध्यापक आंदोलन से जुड़ा हूँ पहले भी मतभेद एवं विचारों में भिन्नता थी परंतु इस प्रकार के आपसी वैचारिक विवाद नहीं थे। कारण जो भी ही इस पर विराम लगना ही चाहिए। जो भी हमारे साथी है उनसे विनम्र अनुरोध है कि हम जो भी संगठन या संघ से हों, हमारी आस्था जहाँ भी हो हमें अपनी भाषा पर लगाम लगाना ही चाहिए।हम अपने संघ या संगठन के विचारों का प्रचार प्रसार बेशक करें। अपनी बात सोशल मीडिया पर विस्तार से कहें पर वाद विवाद की स्थिति न बनने दें। हर परिस्थिति में भाषा श्रेष्ट ही रखें।

आशा है आप सब इस निवेदन को स्वीकार करेंगे।
आपका भाई
अशोक कुमार देवराले
प्रांतीय उपाध्यक्ष
म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन

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